केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023-24 में राष्ट्रीय Green Credit योजना की घोषणा की थी। सरकार ने गुरुवार को Green Credit कार्यक्रम के लिए नियमों की अधिसूचना जारी की। इसके साथ ही कहा गया कि यदि कार्बन उत्सर्जन में कमी होती है, तो Green Credit program (जीसीपी) के तहत Green Credit उत्पन्न करने वाली किसी भी गतिविधि के लिए कार्बन क्रेडिट दिया जाएगा।
इस योजना के तहत, सरकार उन लोगों और संस्थानों को Green Credit देगी, जो पर्यावरण को बचाने में भूमिका निभाएंगे। Green Credit एक प्रकार का आर्थिक प्रोत्साहन है, जिसका उपयोग पर्यावरणीय रूप से अनुकूल परियोजनाओं और गतिविधियों में निवेश करने के लिए किया जा सकता है। राष्ट्रीय ग्रीन क्रेडिट योजना को पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों के एक हिस्से के रूप में शुरू किया गया है।
यह एक बाजार आधारित व्यवस्था है जिसे विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों और टिकाऊ जीवनशैली को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किया गया है। नियमों के अनुसार, पौधे लगाने, जल प्रबंधन, स्थायी कृषि, कचरे का प्रबंधन, वायु प्रदूषण में कमी और टिकाऊ भवन और बुनियादी ढांचा निर्माण को पर्यावरण के अनुकूल गतिविधि माना जाएगा।
इस योजना के तहत, सरकार उन लोगों और संस्थानों को Green Credit देगी, जो निम्नलिखित गतिविधियों में शामिल हैं:
- नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास और संचालन
- ऊर्जा दक्षता उपायों को लागू करना
- प्रदूषण कम करने वाली तकनीकों का उपयोग करना
- वनों और जैव विविधता का संरक्षण करना
- जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन गतिविधियों को लागू करना
राष्ट्रीय Green Credit योजना के तहत, सरकार Green Credit प्रदान करने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों के साथ भागीदारी करेगी।Green Credit के लिए आवेदन प्रक्रिया अभी तक जारी नहीं की गई है, लेकिन सरकार ने यह संकेत दिया है कि यह प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी। राष्ट्रीय ग्रीन क्रेडिट योजना का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है। यह योजना उन लोगों और संस्थानों के लिए भी एक अवसर प्रदान करेगी, जो पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों में निवेश करना चाहते हैं।
राष्ट्रीय ग्रीन क्रेडिट योजना के लाभ
- यह पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयासों को बढ़ावा देगी।
- यह निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देगी।
- यह उन लोगों और संस्थानों के लिए एक अवसर प्रदान करेगी, जो पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों में निवेश करना चाहते हैं।
- इससे भारत को अपनी जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।