हवा में फैला जहर बच्चों के दिमाग पर कहर बरपा रहा है! हाल ही में हुए एक शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण बच्चों में ADHD (attention deficit hyperactivity disorder) के लक्षणों को बढ़ा सकता है. यह जानकारी चिंताजनक है, क्योंकि एडीएचडी पहले से ही कई बच्चों को प्रभावित कर रहा है, और अब प्रदूषण इस समस्या को और गंभीर बना रहा है. आइए जानते हैं कि यह शोध क्या कहता है और हम अपने बच्चों की रक्षा कैसे कर सकते हैं?
ADHD और हवा का गठजोड़
ADHD एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें बच्चों का ध्यान केंद्रित करने, शांत बैठने और नियंत्रित व्यवहार करने में कठिनाई होती है. शोध बताते हैं कि वायु में मौजूद हानिकारक तत्व जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (PM2.5) बच्चों के दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकते हैं. ये तत्व दिमाग में उन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जो ध्यान, फोकस और आत्म-नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होते हैं. नतीजतन, एडीएचडी के लक्षण जैसे ध्यान भंग, अत्यधिक सक्रियता और आवेगपूर्ण व्यवहार और बढ़ जाते हैं.
शोध और अध्ययन
कई अध्ययनों ने इस लिंक को मजबूत किया है. एक अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में ADHD का निदान होने का जोखिम 50% तक अधिक होता है. एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों में एडीएचडी के लक्षणों में अल्पकालिक वृद्धि भी हो सकती है.
भारत में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, खासकर बड़े शहरों में. इस स्थिति में ADHD का खतरा बच्चों के लिए और भी बढ़ जाता है. इससे न केवल बच्चों की शिक्षा और सामाजिक जीवन पर असर पड़ता है, बल्कि उनके भविष्य के लिए भी चुनौतियां पैदा होती हैं.
क्या किया जा सकता है?
वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. सरकार को वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण और निर्माण गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए. साथ ही, व्यक्तिगत स्तर पर भी कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे कम दूरी की यात्राओं के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, पौधे लगाना और घर के अंदर एयर प्यूरिफायर का उपयोग करना.
बच्चों पर क्या होता है असर?
ADHD से ग्रस्त बच्चे ध्यान लगाने में कठिनाई महसूस करते हैं, आसानी से विचलित हो जाते हैं, और आवेगी व्यवहार करते हैं. इससे उनकी पढ़ाई, खेलकूद और सामाजिक संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. प्रदूषण के कारण एडीएचडी के लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं, जिससे बच्चों के लिए रोजमर्रा की गतिविधियों को करना और भी मुश्किल हो सकता है.
एडीएचडी के क्या है लक्षण
- किसी भी कार्य को सही ढंग से ना करना।
- निर्देशों का पालन करने में कठिनाई होना।
- किसी की बात को न सुनना।
- अत्यधिक बात करना।
- किसी भी बात को याद ना रखना।
- हमेशा उदास रहना।
- दूसरों को बहुत ज्यादा परेशान करना।
ADHD का क्या है इलाज और कैसे करें बचाव?
ADHD एक व्यवहार से जुड़ी गंभीर बीमारी है, जिसके लिए कोई विशेष परीक्षण नहीं है। इसके लक्षणों के आधार पर ही इसका इलाज किया जाता है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षण दिखने पर सबसे पहले किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसमें बच्चे का आईक्यू लेवल भी जांचा जाता है। अगर आपके बच्चे को एडीएचडी है, या यदि शिक्षक आपको बताते हैं कि आपके बच्चे को पढ़ने में दिक्कत है, उसका व्यवहार अन्य बच्चों से अलग है और उसे ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है, तो बिना देरी किए किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
एडीएचडी का इलाज दवाओं और व्यवहार थेरेपी के संयोजन से किया जा सकता है। दवाएं एडीएचडी के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं, जबकि व्यवहार थेरेपी बच्चों को लक्षणों से निपटने के लिए कौशल विकसित करने में मदद करती है।