हिंदू धर्म में श्रद्धा भाव से मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है Bhishma Ashtami। इस वर्ष भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाने वाले महाराज भीष्म की अष्टमी तिथि 16 फरवरी 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन श्रद्धालु भीष्म पितामह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके त्याग, कर्तव्यनिष्ठा और धर्मनिष्ठा से जुड़ी कथाओं को याद करते हैं।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ 16 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इसका समापन 17 फरवरी को सुबह 08 बजकर 15 मिनट पर होगा। ऐसे में Bhishma Ashtami का पर्व 16 फरवरी, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
भीष्म पितामह का जीवन
महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह राजा शांतनु और गंगा पुत्र थे। गंगा उन्हें अमरत्व का वरदान देकर लौटा गई थीं, परंतु भीष्म ने स्वेच्छा से अमरत्व त्याग कर जीवन भर कुंवारे रहने का व्रत लिया था। उन्होंने हस्तिनापुर के राजा शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती के पुत्रों भीष्म और चित्रांगद का लालन-पालन किया। बाद में सिंहासन का त्याग कर भीष्म ने हस्तिनापुर के युवराज धृतराष्ट्र और पाण्डु के संरक्षक की भूमिका निभाई।
भीष्म पितामह धर्मनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ और न्यायप्रिय थे। उन्होंने हमेशा सत्य का साथ दिया और हस्तिनापुर के हितों को सर्वोपरि माना। कौरव-पांडवों के युद्ध में उन्होंने कौरवों का पक्ष लिया, परंतु युद्ध के दौरान सदैव धर्म का पक्षधर रहे। युद्ध समाप्ति के बाद उन्होंने धर्मराज युधिष्ठिर को राजधर्म का पाठ पढ़ाया और इच्छामृत्यु प्राप्त की।
Bhishma Ashtami का महत्व
Bhishma Ashtami के दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और भीष्म पितामह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
भीष्म अष्टमी मनाने की क्या है मान्यता
Bhishma Ashtami के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इसके बाद, वे भीष्म पितामह को तिल, जल और फूल अर्पित करते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। शाम के समय, लोग कथावाचन करते हैं।
माना जाता है कि जो साधक Bhishma Ashtami के दिन व्रत आदि करता है, उसे संतान की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही इस तिथि पर पितरों के निमित्त तर्पण और दान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, व्यक्ति के Bhishma Ashtami के दिन जो व्यक्ति पितामाह भीष्म के निमित्त तर्पण और जलदान करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
आधुनिक जीवन में भीष्म अष्टमी का महत्व
भीष्म पितामह का जीवन त्याग, कर्तव्यनिष्ठा और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है। Bhishma Ashtami का दिन हमें भीष्म पितामह के आदर्शों को अपनाने और अपने जीवन में उनका पालन करने की प्रेरणा देता है। इस दिन हम संकल्प ले सकते हैं कि हम सत्य का साथ देंगे, अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे और धर्म के मार्ग पर चलेंगे।