बिहार शिक्षा विभाग ने Niyojit Teachers के लिए सक्षमता परीक्षा का विरोध करने पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश तब दिया गया जब बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (BSRTS) ने 13 फरवरी को विधानसभा घेराव की घोषणा की। शिक्षा विभाग ने कहा कि यदि शिक्षकों ने परीक्षा का विरोध किया तो उनके खिलाफ गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने (unlawful assembly) और सरकारी काम में बाधा डालने (obstruction of government work) के आरोप में FIR दर्ज की जाएगी।
परीक्षा का विरोध क्यों?
Niyojit Teachers का कहना है कि यह परीक्षा अनावश्यक है और यह उनके हित में नहीं है। उनका तर्क है कि वे पहले से ही 15-20 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं और उन्हें फिर से परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं है। शिक्षकों का यह भी कहना है कि परीक्षा का तरीका भी उचित नहीं है और यह शिक्षकों के ज्ञान का सही आकलन नहीं कर सकता है।
सरकार का रुख
सरकार का कहना है कि सक्षमता परीक्षा Niyojit Teachers की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि परीक्षा में सफल होने वाले शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा।
सक्षमता परीक्षा बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य के सभी Niyojit Teachers को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा। परीक्षा में सफल होने वाले शिक्षकों को नियमित वेतन और अन्य लाभ मिलेंगे।
FIR का आदेश
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सक्षमता परीक्षा का विरोध करने वाले Niyojit Teachers के खिलाफ FIR दर्ज करें। विभाग ने कहा है कि परीक्षा का बहिष्कार करने वाले शिक्षकों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
Niyojit Teachers संगठनों ने सरकार के आदेश की आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार डर के माध्यम से शिक्षकों को चुप कराने की कोशिश कर रही है। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि वे सरकार के आदेश के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उनका कहना है कि यह आदेश शिक्षकों को डराने और धमकाने के लिए है। उन्होंने कहा कि वे FIR दर्ज किए जाने के डर से परीक्षा का विरोध नहीं करेंगे।