पिछले कुछ महीनों में Pulses की कीमतों में लगातार उछाल देखा गया है। इस मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए, सरकार ने दालों की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है।
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Food and Consumer Affairs) के अनुसार, थोक विक्रेताओं को अब अधिकतम 200 टन दालों का ही भंडारण करने की अनुमति होगी। वहीं, खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 2 टन निर्धारित की गई है।
यह कदम उन लोगों को रोकने के लिए उठाया गया है जो कृत्रिम रूप से Pulses की कमी पैदा करके कीमतें बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जमाखोरी करने वाले अक्सर बड़ी मात्रा में दालें खरीदकर बाजार से दूर रख देते हैं। इससे बाजार में Pulses की कमी हो जाती है और मांग और आपूर्ति के असंतुलन के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं।
थोक-खुदरा विक्रेताओं के लिए बनेगी लिमिट
सरकार के नए नियमों के अनुसार, थोक विक्रेता अधिकतम 200 टन Pulses का ही भंडारण कर सकेंगे। वहीं, खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 2 टन निर्धारित की गई है। इन सीमाओं से अधिक मात्रा में दालों का भंडारण पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
इसके साथ ही, सरकार ने राज्य सरकारों को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकारों को जमाखोरों के खिलाफ छापेमारी करने और Pulses की कालाबाजारी रोकने के लिए कहा गया है। अब पिछले तीन महीने के दाल उत्पादन या वार्षिक क्षमता का 25 प्रतिशत, जो भी ज्यादा हो, का स्टॉक कर पाएंगे।
आयातकों की भी नहीं चलेगी मनमानी
आयातकों की मनमानी को सीमित करने के लिए सरकार ने नियम बनाए हैं। अब वे सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों से अधिक आयातित स्टॉक नहीं रख सकेंगे। सभी संबंधित संस्थाओं को उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल पर स्टॉक की स्थिति की जानकारी देनी होगी। यदि निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक है, तो उसे 12 जुलाई तक निपटाना होगा। अरहर और चना पर स्टॉक सीमा लगाकर सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण का प्रयास किया है।
बारीक निगरानी कर रहा उपभोक्ता मंत्रालय
उपभोक्ता मंत्रालय पोर्टल के माध्यम से Pulses के स्टॉक की बारीकी से निगरानी कर रहा है। सरकार ने इस वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह में सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे अपने यहां के दाल कारोबारियों के स्टॉक की जानकारी पोर्टल पर देना अनिवार्य करें।
केंद्र ने दाल कारोबार से जुड़े व्यापारियों, स्टॉकिस्टों, डीलरों, आयातकों, मिल मालिकों एवं खुदरा विक्रेताओं के साथ बैठकें कर उन्हें स्टॉक के बारे में सही जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित भी किया। यह कदम Pulses की कीमतों को नियंत्रित करने और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
दालों की कीमतों में वृद्धि क्यों हुई?
Pulses की कीमतों में वृद्धि के कई कारण हैं। एक प्रमुख कारण कम पैदावार है। पिछले कुछ महीनों में कम बारिश के कारण दलहन की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है।
दूसरा कारण जमाखोरी है। कुछ व्यापारी भविष्य में कीमतों के और बढ़ने की आशंका में दालों का भंडारण कर लेते हैं। इससे बाजार में दालों की कमी हो जाती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।