Central Rule in Jammu and Kashmir: जम्मू और कश्मीर में लगे केंद्रीय शासन का आज पांच साल पूरा हो गया है। यह आजादी के बाद देश के राष्ट्रपति शासन की दूसरी सबसे लंबी अवधि है। आपको बता दें कि भारत में कुल 125 बार राज्यों पर केंद्रीय शासन लगाए गए है। वहीं जम्मू-कश्मीर में यह 8 वीं बार लगा है इसके साथ ही यहां केंद्रीय शासन का सबसे लंबा कार्यकाल छह साल से अधिक समय तक रहा।
यहां के लोगों को चुनाव होने का इंतजार है। घाटी में अंतिम चुनाव साल 2014 में हुआ था। उस समय बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी न्यूनतम एजेंडे पर सहमति के बाद गठबंधन किया था। लेकिन 19 जून, 2018 को भाजपा ने गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद अगस्त 2019 में, भारत सरकार ने जम्मू -कश्मीर से अनुछेद 370 हटाकर राज्य के विशेष दर्जा को ख़त्म कर दिया था। जिसके बाद से नए केंद्र शासित प्रदेश में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ है।
जम्मू-कश्मीर में बहुत ऐसे लोग हैं जो वोट देने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि साल 1990 में इन लोगों ने लोकतंत्र और अपने वोट के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी थी। आपको बता दें कि वोट का अधिकार लेने के लिए कश्मीर जितना नुकसान किसी जगह को नहीं हुआ। इस लड़ाई में हजारों लोग आतंकवादियों द्वारा सिर्फ इसलिए मारे गए हैं क्योंकि वो वोट देना चाहते थे। घाटी में ऐसे बहुत परिवार है जिनको उम्मीद है कि राज्य में जल्द ही चुनाव होंगे और उन्हें मतदान करने का मौका मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय शासन के बाद से आंकड़ों की तुलना करें तो पिछले पांच साल काफी शांतिपूर्ण रहे हैं। वहीं आतंकवाद की गतिविधियों में भी कमी देखने को मिल रही है। युवा आतंकवादियों की भर्ती अपने सबसे निचले स्तर पर है। घुसपैठ में भारी गिरावट देखने को मिल रहा है। इसके अलावा पर्यटन में भी बहुत अधिक इज़ाफ़ा हुआ है और साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं में भी इजाफा हुआ है।