Gandhi Peace Award: संस्कृति मंत्रालय ने रविवार को एक अधिकारिक घोषणा कर कहा की साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को दिया जाएगा। यह पुरस्कार “अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए उत्कृष्ट योगदान” के लिए दिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एक जूरी ने सर्वसहमती से गीता प्रेस, गोरखपुर को 2021 के पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है। वहीं गीता प्रेस, गोरखपुर ने गांधी शांति पुरस्कार 2021 के लिए सम्मान के तौर पर दिए जाने वाले 1 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार को लेने से इनकार कर दिया है।
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के प्रकाशक, गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी, और वर्तमान में यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशनों में से एक है। इसने अब तक 15 भाषाओं में 1,850 से अधिक धार्मिक पुस्तकों की 93 करोड़ प्रतियां बेची हैं, जिसमें इसकी मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ की प्रतियां भी शामिल हैं, जिसे 1926 में शुरू किया गया था। गीता प्रेस ने गोस्वामी तुलसादास द्वारा लिखित ‘रामचरितमानस’ की 3.5 करोड़ से अधिक प्रतियां और ‘श्रीमद भगवद गीता’ की 16 करोड़ से अधिक प्रतियां भी बेची हैं। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी कहते हैं, ”आजकल ऐसी मांग है कि हम अक्सर अपने पाठकों की मांग पूरी नहीं कर पाते। वहीं उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में, हमने लगभग 111 करोड़ रुपये में अपनी पुस्तकों की 2.40 करोड़ से अधिक प्रतियां बेची हैं। इसके साथ ही त्रिपाठी कहते हैं, गीता प्रेस हर साल रामचरितमानस की लगभग 10 लाख प्रतियां बेचता है।
गांधी शांति पुरस्कार साल 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों के लिए है। हाल ही में यह पुरस्कार सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद, ओमान (2019) और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, बांग्लादेश(2020) को दिया गया है।