Puri Jagannath Rath Yatra: ओडिशा के पुरी में आज से यानी 20 जून से शुरू हो गई है जगन्नाथ रथयात्रा। आज के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ ओडिशा के पुरी में ही अपने मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के लिए यात्रा पर निकलेंगे। यह यात्रा दस दिनों की होती है जिसे जगन्नाथ यात्रा कहा जाता है। सुबह से ही मंदिर में पूजा और रथयात्रा के लिए जरूरी रस्में और विधान शुरू हो गई हैं। वहीं पहांडी के बाद देवताओं का जुलूस निकाला गया। जिसके बाद दोपहर 3.30 बजे तक रथ यात्रा निकाली जाएगी।
रथयात्रा के शुभ मौके पर सुरक्षा और स्वास्थ्य की सभी तैयारियां अच्छी तरीके से की गई है। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों पर अग्निशमन कर्मियों की ओर से पानी का छिड़काव किया जाएगा, इसके साथ ही श्रद्धालुओं को ओआरएस के पैकेट भी दिए जाएंगे। वहीं रथयात्रा के मध्यनजर पुरी शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस दौरान तीर्थनगरी को 14 जोन और 29 सेक्टरों में बांटा गया है। वहीं यात्रा में लगभग 170 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
हर वर्ष यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पुरी के मंदिर से निकलते हुए गुंडिचा मंदिर जाती है। इस गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों ही आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तक रुकते हैं। इसके बाद फिर वह अपने पुरी के मंदिर में वापस लौट आते हैं। इस रथ की इतनी मान्यताएं हैं कि दूर दूर से लोग इसे देखने और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने के लिए पुरी आते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह रथयात्रा इसलिए निकाली जाती है क्योंकि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण से उनकी बहन सुभद्रा ने द्वारका देखने इच्छा व्यक्त की थी। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन की इस इच्छा को पूरा करने के लिए सुभद्रा और भाई बलभद्र जी को अपने रथ पर बैठाकर द्वारका की यात्रा करवाई थी। इसके बाद से ही हर साल भगवान जगन्नाथ के संग बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा भारत के अलग-अलग जगहों पर निकली जाती है।