Rare Flower Bloom in Muzaffarpur: बिहार का मुजफ्फरपुर पूरी दुनिया में अपने लीची उत्पादन के लिए फेमस है। लेकिन इस लीचीलैंड में बहुत दुर्लभ शास्त्रों और पुराणों में वर्णित कल्पवृक्ष का पेड़ भी मौजूद है। लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इस कल्पवृक्ष के बारे में मान्यता है कि इस वृक्ष से पूरे दिल से जो मांगा जाता है वह जरूर मिलती है। इस कल्पवृक्ष को देववृक्ष, कल्पतरु, कल्पद्रूप, सुरतरु, देवतरु और कल्पलता जैसे नामों से भी जाना जाता है।
इस दुर्लभ वृक्ष को कॉलेज के राजेंद्र पार्क में 35 साल पहले कॉलेज के विद्यार्थि रहे डीजीपी डीपी ओझा ने लगाया था। सालो बाद इस कल्पवृक्ष में इस साल दुर्लभ फूल खिला है। ऐसा माना जाता है कि कल्पवृक्ष तो कहीं कहीं दिख जाता लेकिन इसके फूल शायद ही कभी दिखते हैं। पौराणिक कथाओं में इस पेड़ का बहुत ही महत्वपूर्ण मान्यता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह कल्पवृक्ष समुंद्र मंथन में प्राप्त 14 रत्नों में से एक है। इसके साथ ये भी मान्यता है की इस वृक्ष की सच्ची सेवा करने से इससे जो भी कामना की जाती है वह जरूर पूरा होता है।
मुजफ्फरपुर के एलएस कॉलेज परिसर में स्थित कल्पवृक्ष के बारे में बहुत सी मान्यताए जुड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि इस पार्क के माली हरेंद्र कुमार को शादी के दस सालों तक कोई संतान नहीं थी। लेकिन जबसे हरेंद्र कुमार ने इस वृक्ष की सेवा शुरू की उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इस दुर्लभ पेड़ के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पेड़ पल फूल को देखना बड़ा ही चमत्कारी होता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पांच सालों के कार्यकाल में इस पेड़ पर उन्होंने पहली बार फूल देखा है।
वहीं इस विषय पर बताते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल ओपी राय ने कहा कि, दुनिया में कल्पवृक्षों की संख्या बहुत कम है। जिसमें से एक वृक्ष प्रधानमंत्री द्वारा शताब्दी वर्ष में बिहार विधानसभा परिसर में लगाया गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा की कॉलेज के 125 वें वर्ष में प्रवेश करते ही इस दुर्लभ फूल का निकलना बहुत ही शुभ माना जा रहा है। इससे उम्मीद की जा रही है की आने वाले दिनों में कॉलेज की काफी उन्नति होगी।