कहते है कि अगर मन में आसमान देखने की लालसा हो तो देखने वालों को सूरज को तेज रौशनी से भी जूझना पड़ता है। मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। आज की युवा पीढ़ी को Business के बाज़ीगर चंदूभाई विरानी के बारे में अवश्य जानना चाहिए।
चंदूभाई विरानी का जन्म एक छोटे गांव के क़ृषि परिवार में हुआ था। उनके परिवार की स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी कि वो Higher Studies को पूरा कर पाते। उन्होंने कक्षा दस के बाद पढ़ाई छोड़ दी। एक समय की बात है जो चंदूभाई विरानी आज ₹4000 करोड़ की कंपनीके मालिक है, वो 90 रुपये महीने पर कैंटीन में काम किया करते थे। पैतृक ज़मीन को बेचने के बाद उनके पिता ने उन्हें ₹20,000 हाथ में दिया।
इस कंपनी की शुरुआत करने से पहले चंदूभाई अपने भाई के साथ राजकोट में फॉर्म सप्लाई का छोटा सा कारोबार शुरू किया था जो कि विफल रहा। पर आख़िरकार विरानी बाबू गुजराती थे और व्यापार तो गुजरातियों को रग-रग में बसा होता है।
बालाजी वेफर्स की कैसे हुई शुरुआत?
छोटे गांव के रहवासी अक्सर सपने बड़े देखते है। चंदूभाई और उनके भाई ने कैंटीन में काम करना शुरू कर दिया। उन्हें करीबन ₹90 प्रतियेक माह दिया जाता था। वो और उनके भाई अन्य कारोबार में भी साथ काम कर ही रहे थे। इस काम के दौरान उन्हें काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा। आख़िकार इतने से पैसे में उनका घर कैसे चलता। उन्हें किराये का मकान भी खाली करना पड़ा क्योंकि वो किराया देने में असमर्थ थे।
कैंटीन में काम करने के दौरान चंदूभाई ने पैसे कमाने के लिए एक नया रास्ता खोज निकाला। इसके बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर कैंटीन में 1,000 रुपये महीने का कॉन्ट्रैक्ट sign किया। चंदूभाई ने घर के आंगन में ही एक छोटा सा शेड बनाया और कमरे में चिप्स बनाना शुरू कर दिया।
प्रोडक्ट तो तैयार हो गया परंतु प्रोडक्ट को बाजार में विक्री करने के लिए “ब्रांड” का नाम और sales executive की जरुरत थी। आदमी और पैसे दोनों ही बिज़नेस शुरू करने के लिए काफ़ी कम थे। प्रोडक्ट को “बालाजी” का नाम दिया गया; इस ब्रांड को थिएटर के अंदर और बाहर दोनों जगह काफी अच्छा रिस्पांस मिला।अथवा उसे बेचने के लिए उन्हें साइकिल पर वेफर्स के बैग लेकर एक दुकान से दूसरी दुकान तक जाना पड़ता था।
“बालाजी” ने चंदूभाई विरानी की किस्मत पलट डाली
बालाजी को 1995 में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का लाइसेंस मिल गया। आगे चलकर इसने नमकीन और अन्य स्नैक्स का भी प्रोडक्शन शुरू करने का निर्णय लिया। आज देखा जाए तो बालाजी का ब्रांड गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा वेफर ब्रांड है। 2011 की रिपोर्ट से पता चला है कि आज ये कंपनी ₹4000 करोड़ की कगार पे पहुँच गयी है।
स्नैक्स इंडस्ट्री में “बालाजी वेफर” का नाम बहुत बड़ा है। चंदूभाई विरानी ने ₹90 से ₹4000 करोड़ तक का सफर तय करके young entrepreneurs के लिए एक मिशाल कायम की है।