एक सेहतमंद व्यक्ति बनने के लिए इंसान को एक सुकून भरी नींद की आवश्यकता होती हैं। इंसान 24 घंटे के दिन में अगर कुछ पल सुकून के नींद लेता हैं तो उसके दिन भर की थकान गायब हो जाती है। भारत अपने परिश्रमी नागरिकों के लिए Right to Sleep का concept लाया है। अब आपके fundamental rights में Right to Sleep का भी अधिकार होगा।यानि अगर कोई व्यक्ति आपको नींद लेने में वाधा उत्पन्न करता है तो आप उस व्यक्ति पर क़ानूनी करवाई कर सकते है।
“Right to Sleep” को मिला देश के सर्वोच्च न्यालय से मंजूरी
आजकल हमारी जिंदगी बहुत ही भाग दौर वाली जिंदगी हो गयी है, जिसमे एक इंसान को चैन से सोने का पूरा अधिकार है। इस भावना को हमारे देश के सर्वोच्च न्यालय ने बढ़ावा दिया है। भारत के Constitution में अनुच्छेद 21 के ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ के तहत नींद के अधिकार को fundamental rights के रूप में मान्यता दी गई है। अनुच्छेद 21 के अनुसार, किसी भी नागरिक को अपना मौलिक अधिकार पाने के लिए चिंतित नहीं होना पड़ेगा।
किस घटना से हुई “Right to Sleep” की पहल
बात ये 2011 के जून महिने की है, जब बाबा रामदेव के रैली में लाखों की कतार में भीड़ उनको देखने आई थी। रैली के दौरान अधिकतर लोग नींद लेने लगे थे जिसे देख पुलिस कर्मचारियों ने उनके नींद को भंग करने का प्रयास किया। ये मामला Supreme Court में दर्ज होने पर न्यालय ने बताया कि सोना एक इंसान का मौलिक अधिकार है ; जो घटना रैली के दौरान घटित हुई है, वो काफ़ी गलत हुआ है। हर व्यक्ति को अपने जीवन को सही रूप से जीने के लिए सही रूप से नींद लेने की भी बेहद आवश्यकता है। न्यालय ने ये भी कहा, “इंसान के लिए नींद एक बुनियादी जरूरत है, विलासिता नहीं।“
विदेशों की बेहतरीन व्यवस्था दे रही Fundamental Rights को बढ़ावा
सूत्रों के अनुसार भारत के मित्र राष्ट्र अमेरिका में नागरिक के मौलिक अधिकार का परस्पर पालन हो, इस खातिर नागरिकों को सोने का, चुप रहने का, दो पल सुकून से बैठने आदि का पूरा अधिकार दिया गया है। यहाँ तक की वहाँ कोई court के orders के बिना किसी के घर जाँच पड़ताल के लिए दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकता है।
विदेशों में हवाई अड्डों पर पूरी तरह से रात का कर्फ्यू लगा दिया है। उन Airports पे देर रात में लैंडिंग और टेक-ऑफ पर strictly restrictions लगा दिए गए है। कुछ देशों ने पहले ही नींद को इंसान की मौलिक अधिकार समझकर नियम बना लिए है, अथवा कुछ भारत जैसे Developing Countries इन चीज़ो के लिए नए कदम बढ़ा रहे हैँ।