भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने महत्वाकांक्षी Chandrayan-3 मिशन के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है, चंद्रमा-बाउंड मेनूवर को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो की हाल की घोषणा में चंद्रमा-बाउंड मेनूवर्स को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है, जिससे मिशन के समय-सीमा में एक महत्वपूर्ण चरण का पूरा होना संकेत है। चंद्रयान-3 मिशन, जिसका उद्देश्य भारतीय चंद्र अन्वेषण के प्रयासों को आगे बढ़ाना है, वह एक महत्वपूर्ण कदम के साथ आगे बढ़ चुका है।
अब ISRO लैंडर मॉड्यूल की प्रोपल्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो मिशन के महत्वपूर्ण परवो में से एक है। इस प्रोपल्शन चरण का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सटीक लैंडिंग सुनिश्चित करना है और योजनाबद्ध वैज्ञानिक प्रयोगों की पूर्णता की गारंटी देना है।
कैसी है ISRO की मेहनत?
इसरो की चंद्र अन्वेषण की दिशा में की गई मेहनत और समर्पण स्पष्ट दिखते हैं। चंद्रमा-बाउंड मेनूवर्स की सफल पूर्णता इसे दिखाती है कि इसरो ने अंतरिक्ष अन्वेषण में नई मील के साथ-साथ नए मील की प्राप्ति की दिशा में अपने समर्पण को दिखाया है। अब जब लैंडर मॉड्यूल की प्रोपल्शन का समय आ चुका है, वैज्ञानिक समुदाय और पूरे देश में चंद्रयान-3 मिशन की उपलब्धियों और भारत की अंतरिक्ष यात्रा में योगदानों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
चाँद की किस सतह पर उतरेगा चंद्रयान-3?
आपको बता दे की Chandrayan-3 मिशन में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल हैं। लैंडर और रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे और 14 दिनों तक प्रयोग करेंगे। वहीं प्रोपल्शन मॉड्लूय चांद की कक्षा में ही रहकर चांद की सतह से आने वाले रेडिएशंस का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो चांद की सतह पर पानी का पता लगाएगा और यह भी जानेगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं। ISRO ने लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करने की योजना 17 अगस्त, 2023 को बनाई गई है। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर लैंड करना है, जिस पर पूरी दुनिया की नज़र रहेगी।
Chandranyan-3 की अबतक की यात्रा पर क्या कहा राज्यमंत्री ने?
Chandranyan-3 की अबतक की यात्रा पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट ने कहा की, “चंद्रमा की ओर एक कदम और करीब! आज की सफल फायरिंग, अल्पअवधि के लिए आवश्यक थी, इसने चंद्रयान-3 को अपनी मंशा के अनुरूप 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया है। इसके साथ ही चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है।”