भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘Project Bhishma’ के तहत विश्व का पहला आपदा अस्पताल(Hospital) तैयार किया है, जो आपदा प्रबंधन में नया मानदंड स्थापित कर सकता है। यह उन अद्वितीय प्रयासों में से एक है, जिनसे भारतीय वैज्ञानिक आपदाओं का समर्थन करने के लिए काम कर रहे हैं। इस आपदा अस्पताल(Hospital) को पूरी तरीके से स्वदेशी बनाया गया है।
‘Project Bhishma’ के तहत तैयार किया गया यह आपदा अस्पताल(Hospital) आपदा प्रबंधन में नए और अद्वितीय मानदंड स्थापित कर सकता है, जो विभिन्न प्रकार की आपदाओं के समय में उपयोगी साबित हो सकते हैं। इस आपदा अस्पताल(Hospital) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ‘Project Bhishma के अंतर्गत तैयार किया गया है। यह प्रोजेक्ट आपदाओं के समय विशेष तत्वों के तैयारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
‘Project Bhishma’ के अंतर्गत तैयार किए गए इस आपदा अस्पताल(Hospital) में विशेष तौर पर आपदा प्रबंधन के लिए नवाचारिक समाधान हैं। यह अस्पताल आपदाओं के समय में त्वरित और प्रभावी उपचार प्रदान करने की क्षमता रखता है और इसे आपदा प्रबंधन के लिए मानदंड स्थापित करने में मदद कर सकता है। ऐसे एक अस्पताल को तैयार करने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत आती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी Project Bhishma की घोसना
आपको बता दे की इस आपदा अस्पताल(Hospital) को पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा Project Bhishma की घोसना के बाद शुरू किया गया था। इसी घोसना के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक भीष्म टास्क फोर्स का गठन किया। इस प्रोजेक्ट के प्रमुख एयर वाइस मार्शल तन्मय राय ने बताया, यह एक ऐसा आपदा अस्पताल है, जिसमें ऑपरेशन थियेटर से लेकर एक्सरे और रक्त नमूनों की जांच के लिए प्रयोगशाला और वेंटिलेटर तक शामिल हैं। इसे आरोग्य मैत्री का नाम दिया है और बॉक्स को आरोग्य मैत्री क्यूब नाम दिया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि Project Bhishma के तहत भारत का आपदा अस्पताल(Hospital) अब तक का सबसे अनूठा मॉडल है, जिसे दूसरे देशों में निर्यात के लिए बनाया है और जो पूरी तरह सौर ऊर्जा और बैटरी पर संचालित किया जायेगा। डिजास्टर मैनेजमेंट के अभी तक के अध्ययन बताते हैं कि किसी भी आपदा में करीब दो फीसदी लोगों को गंभीर चिकित्सा सेवा की तत्काल जरूरत पड़ती है। जिसको देखते हुए इस अस्पताल को बनाया गया है।
भारतीय वैज्ञानिकों के इस प्रयास से न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नए स्तर की प्रागतिकता दर्शाई जा सकती है। Project Bhishma का यह अस्पताल(Hospital) आपदाओं के समय में सहायता प्रदान करने के साथ ही उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
भारत के वैज्ञानिकों ने इस मोबाइल अस्पताल को इस तरीके से तैयार किया है कि एक बॉक्स में पूरा अस्पताल मौजूद है। इसके सरे उपकरण को 720 किलो वजन के कंटेनर में रखा गया हैं। इस कंटेनर को जब हेलीकॉप्टर से पानी में या कहै भी आपदा वाले जगह पर गिराया जायेगा फिर भी ये नहीं टूटेगा।
Project Bhishma के तहत छोटे-छोटे बॉक्स में समाया है पूरा अस्पताल
- इस अस्पताल(Hospital) को बनाने के लिए लोहे के तीन फ्रेम हैं, प्रत्येक फ्रेम में 12 छोटे बॉक्स हैं। यानी कुल 36 बॉक्स में सारा सामान है।
- तीनों फ्रेम के बीच में एक छोटा जेनरेटर लगा हुआ है।
- फ्रेम के ऊपर दो स्ट्रेचर भी हैं जो ऑपरेशन थियेटर में बिस्तर का काम कर सकते हैं।
- प्रत्येक बॉक्स के अंदर भारत निर्मित दवा, उपकरण और खाद्य सामग्री है।
- पेन एंटीबायोटिक किट, शॉक किट, चेस्ट इंजरी किट, एयरवे किट और ब्लीडिंग किट मौजूद।