22 जनवरी को राम मंदिर (Ram Mandir) में जो प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होना है, उसके लिए पूरे देश में भव्य तैयारी चल रही है, जहां कई सालों का सपना अब साकार होने जा रहा है. उसके लिए 15 जनवरी से ही अनुष्ठान शुरू हो चुके हैं, जहां अब हर भारतवासी को बस रामलला के आगमन का इंतजार है, पर क्या आप सोच सकते हैं कि आखिर प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और यह जरूरी क्यों होता है. हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक यह काफी मायने रखता है कि जब भी किसी देवी देवताओं की मूर्ति की स्थापना की जाए तो उसकी प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए.
ये है नियम
आपको बता दे कि प्राण प्रतिष्ठा के तहत प्रतिमा में देवी देवताओं के आने का आह्वान करना होता है, ताकि वह पूजने योग्य बन सके. जब तक देवी देवताओं की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती है तब तक उसकी पूजा नहीं हो सकती और उसमें देवताओं का वास नहीं माना जाता, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा के बाद उसे पूजने योग्य बनाया जाता है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्तियों को पहले सम्मान के साथ मंदिर में लाया जाता है, जहां पर मूर्ति को रखें फिर प्रतिमा का स्वागत किया जाता है. उसके बाद प्रतिमा पर सुगंधित चीजों का लेप लगाकर दूध से नहलाया जाता है. इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जो विशेष रूप से पूजन और नियम है उसका पालन किया जाता है.
घर में नहीं रखनी चाहिए ऐसी प्रतिमा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये कहा गया है कि हमें कभी भी घर में पत्थर की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए और अगर आप ऐसा करते हैं तो रोज उचित प्रकार से उसकी पूजा और अनुष्ठान करना जरूरी होता है. ऐसे में अगर पूरे विधि विधान से आप इन देवताओं की पूजा पाठ नहीं करते हैं तो आपके जीवन में भारी नुकसान होता है और आप हर तरफ से परेशान रहते हैं.