नवरात्रि में बस कुछ ही समय बाकी रह गया है, जिसमें देवी की सवारी दिन के हिसाब से तय होती है. रविवार से इस बार नवरात्रि जैसे पावन त्योहार की शुरुआत हो रही है. इसलिए देवी हाथी पर सवार होकर आएंगी. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना होती है. इसके बाद ही नवदुर्गा के स्वरूप की पूजा का कार्यक्रम आरंभ होता है.
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2023) भी इसी में लगने जा रहा है जो नवरात्रि के एक दिन पहले 14 अक्टूबर को लगने वाला है. इसके बाद से 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी.
ये है शुभ मुहूर्त
15 अक्टूबर को सुबह 11:44 से लेकर दोपहर 12:30 तक शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है. पूर्ण रूप से देखा जाए तो घट स्थापना के लिए पूरे 46 मिनट का अबूझ मुहूर्त रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करने से शुभ परिणाम मिलते हैं और माता रानी का आशीर्वाद बना रहता है. इसलिए इस समय पूजा करना अति उत्तम है. इस बार जो दूसरा सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2023) लग रहा है. वह 14 अक्टूबर को रात 8:34 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 2:25 तक रहेगा. हालांकि इसका प्रभाव भारत में नहीं रहेगा.
इस विधि से करें पूजा
घट स्थापना करने के दौरान खास विधि का पालन किया जाता है, ताकि आपसे किसी तरह की कोई गलती ना हो. सबसे पहले देवी की चौकी सजाने के लिए आप उत्तर पूर्व दिशा का चुनाव करें, जहां लकड़ी की चौकी रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाए. उसके बाद माता रानी की प्रतिमा को वहां पर स्थापित करें. साथ ही साथ प्रथम पूजनीय गणेश जी का ध्यान करें और फिर कलश स्थापित करें.
इस बात का ध्यान रखें कि कलश पर लाल रंग की चुनरी लपेटकर कलश के मुख पर मौली या कलावा बांध दे. जब आप कलश भर रहे हो तो उसमें लौंग का जोड़ा, सुपारी, हल्दी की गांठ, दूर्वा और ₹1 का सिक्का डालना बिल्कुल भी ना भुले.