Diesel consumption in train: ट्रेन यात्रा भारत में सबसे आम सफर का साधन है। हर दिन लाखों लोग ट्रेनों से देश के कोने-कोने का सफर करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये रेलगाड़ियां कितना डीजल पीती हैं? आइए, आज भारतीय रेलवे में डीजल खर्च के गणित को समझते हैं।
Diesel इंजन का दबदबा
भारतीय रेलवे में लगभग 70% इंजन डीजल से चलते हैं। बाकी इलेक्ट्रिक इंजन हैं। डीजल इंजन मजबूत और किफायती माने जाते हैं, इसलिए इन्हें लंबी दूरी की यात्राओं के लिए खास तौर पर चुना जाता है।
अलग-अलग ट्रेनों, अलग-अलग खपत
ट्रेनों की Diesel खपत कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे ट्रेन की लंबाई, डिब्बों की संख्या, इंजन का प्रकार, रास्ते की ऊंचाई और गति। यानी एक्सप्रेस ट्रेन की तुलना में पैसेंजर ट्रेन कम डीजल खर्च करेगी। मालगाड़ियों की खपत भी अलग होगी।
12 डिब्बों वाली एक यात्री ट्रेन को एक किलोमीटर चलने के लिए सिर्फ 6 लीटर डीजल की जरूरत होती है। इसी तरह, 24 डिब्बों वाली एक सुपरफास्ट ट्रेन भी एक किलोमीटर का माइलेज हासिल करने के लिए 6 लीटर डीजल की खपत करती है। 12 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन को चलाने के लिए सिर्फ 4.5 लीटर प्रति किलोमीटर डीजल की आवश्यकता होती है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे में फिलहाल कोई भी ट्रेन एक किलोमीटर प्रति लीटर डीजल का माइलेज नहीं देती है।
भारतीय रेलवे में ट्रेनों की Diesel खपत कई कारकों पर निर्भर करती है। औसतन एक यात्री गाड़ी 6 लीटर और एक मालगाड़ी 2.5 लीटर डीजल प्रति 100 किलोमीटर खर्च करती है। भारतीय रेलवे डीजल खपत कम करने के लिए कई प्रयास कर रहा है, जैसे कि आधुनिक लोकोमोटिव का इस्तेमाल और ड्राइवर ट्रेनिंग।
इलेक्ट्रिक रेल का विस्तार
Diesel खपत कम करने के लिए दूसरा बड़ा कदम इलेक्ट्रिक रेल का विस्तार है। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक सभी रेलवे लाइनों को बिजली से जोड़ दिया जाए। इससे Diesel खपत में भारी कमी आएगी और पर्यावरण को भी फायदा होगा।