Ropeway Project: पहाड़ी क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ी पहल करने जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय Ropeway विकास कार्यक्रम (Parvatmala Pariyojana) के तहत आने वाले पांच वर्षों में 200 से अधिक Ropeway परियोजनाओं की पहचान की गई है। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये होगी।
गडकरी ने कहा, “हम Ropeway को शहरी परिवहन प्रणाली के हिस्से के रूप में भी विकसित करने की योजना बना रहे हैं, ताकि हमारे शहरों को भीड़भाड़ से मुक्त किया जा सके और प्रदूषण कम किया जा सके।” उन्होंने कहा कि रोपवे परियोजनाओं से पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आवागमन में आसानी होगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि Ropeway परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने कई नीतिगत बदलाव किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में भारत को रोपवे निर्माण में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश बनाया जाए।
गौरतलब है कि रोपवे एक ऐसी परिवहन प्रणाली है, जिसमें यात्रियों और सामान को केबल के सहारे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। यह प्रणाली पहाड़ी क्षेत्रों में परिवहन के लिए काफी उपयोगी है, क्योंकि सड़क निर्माण करना वहां मुश्किल और महंगा होता है।
वर्तमान में भारत में केवल कुछ ही Ropeway परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है गुलमर्ग रोपवे, जो जम्मू और कश्मीर में स्थित है। इस रोपवे को वर्ष 2005 में शुरू किया गया था और यह दुनिया की सबसे ऊंची Ropeway परियोजनाओं में से एक है।
सरकार की इस पहल से पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी लाभ होगा। उन्हें आवागमन में आसानी होगी और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। इसके अलावा, पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
हालांकि, इस पहल को सफल बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा। सबसे बड़ी चुनौती है पर्यावरण संरक्षण। Ropeway परियोजनाओं को इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। इसके अलावा, इन परियोजनाओं को स्थानीय लोगों की सहमति से बनाया जाना चाहिए।