MOIS in Vehicle: सड़क हादसों की लगातार बढ़ती संख्या एक चिंताजनक मुद्दा बन चुका है। इन हादसों पर लगाम लगाने के लिए सरकार अब एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ऐलान किया है कि जल्द ही सभी चार पहिया वाहनों में इनबिल्ट मूविंग आफ इन्फार्मेंशन सिस्टम (MOIS) लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। इस फैसले से देशभर में सुरक्षित सफर की उम्मीद बढ़ गई है।
क्या है MOIS?
MOIS एक सेंसर आधारित सिस्टम है, जो वाहन के आस-पास 10 मीटर के दायरे में मौजूद अन्य वाहनों, पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों का पता लगा सकता है। यदि कोई वस्तु इस दायरे में आती है, तो सिस्टम चालक को अलर्ट करता है। यह अलर्ट आवाज, विजुअल या दोनों के जरिए दिया जा सकता है।
यह एक हाई-टेक सुरक्षा फीचर है, जो वाहन के सामने किसी अन्य वाहन या वस्तु से टक्कर की संभावना होने पर चालक को अलर्ट करता है। यह सिस्टम रडार, लेजर या कैमरा सेंसर की मदद से वाहन के आसपास के वातावरण का लगातार विश्लेषण करता है। यदि सामने कोई टक्कर का खतरा होता है, तो यह सिस्टम ड्राइवर को अलर्ट करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करता है, जैसे- विजुअल इंडिकेटर, ऑडियो अलर्ट या वायरब्रेशन के जरिए।
मूविंग आफ इन्फार्मेंशन सिस्टम के फायदे
MOIS के लागू होने से कई उम्मीदें जुड़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम करने में मददगार साबित होगा। यह सिस्टम चालक को समय रहते वाहन की गति कम करने या दिशा बदलने का मौका देता है, जिससे टक्कर को टाला जा सकता है। इससे न केवल जानमाल की हानि को रोका जा सकेगा, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने वाले घायलों की संख्या में भी कमी आएगी।
क्यों जरूरी है यह सिस्टम?
भारत में होने वाले सड़क हादसों के प्रमुख कारणों में से एक है चालक की लापरवाही। अक्सर तेज गति, थकान, शराब पीकर गाड़ी चलाना और ध्यान भटकाव के कारण हादसे होते हैं। सीडब्ल्यूएस ऐसे मामलों में काफी मददगार साबित हो सकता है। यह चालक को समय पर सचेत कर देता है, जिससे वह टक्कर से बचने के लिए कदम उठा सकता है।
कौन सी गाड़ियों में होगा लागू?
MOIS को पहले चरण में एम श्रेणी (एम1, एम2 और एम3) के वाहनों में लगाना अनिवार्य किया गया है। इनमें मुख्य रूप से कार, एसयूवी और वैन शामिल हैं। अगले चरण में इस सिस्टम को अन्य श्रेणियों के वाहनों में भी लागू किया जा सकता है।
क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि, MOIS सिस्टम के इस्तेमाल से कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। इनमें से एक चुनौती सेंसर की लागत है। रेडार और लेजर सेंसर अपेक्षाकृत महंगे होते हैं, जिससे वाहनों की कीमत बढ़ सकती है। दूसरी चुनौती यह है कि यह सिस्टम कितना प्रभावी साबित होगा। इस प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता पर अभी भी शोध किया जा रहा है।