Toll Tax: राष्ट्रीय राजमार्गों पर ओवरलोडिंग की समस्या से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जा सकता है। संसदीय स्थायी समिति ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) को यह सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर Toll Tax वसूली के मौजूदा सिस्टम में बदलाव किया जाए और वाहनों का टोल उनके वजन के आधार पर लिया जाए। आइए, इस प्रस्ताव के बारे में विस्तार से जानें –
ओवरलोडिंग की समस्या
राष्ट्रीय राजमार्गों पर भारी वाहनों द्वारा निर्धारित क्षमता से अधिक भार उठाकर चलना एक आम समस्या है। इससे सड़कों को नुकसान पहुंचता है, दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है और यातायात बाधित होता है। मौजूदा टोल सिस्टम, जो एक्सल के आधार पर Toll Tax वसूलता है, ओवरलोडिंग को रोकने में पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हुआ है।
वजन आधारित टोल का प्रस्ताव
संसदीय स्थायी समिति का मानना है कि वजन आधारित Toll Tax सिस्टम ओवरलोडिंग को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी होगा। इस प्रस्ताव के तहत, वाहनों का वजन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरिए मापा जाएगा और Toll Tax उसी के आधार पर तय होगा। ज्यादा वजन वाले वाहनों को अधिक टोल देना पड़ेगा, जिससे ओवरलोडिंग को हतोत्साहित किया जा सकेगा।
फायदे और नुकसान
वजन आधारित Toll Tax सिस्टम के कई फायदे हैं। इससे सड़कों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है, दुर्घटनाओं का खतरा कम हो सकता है और यातायात सुचारू रूप से चल सकता है। साथ ही, इससे भारी वाहनों पर लगाम लग सकेगी, जो सड़कों के रखरखाव पर होने वाले खर्च को कम करने में भी मदद करेगा।
हालांकि, इस प्रस्ताव के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इससे परिवहन लागत बढ़ सकती है, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। साथ ही, वजन मापने वाले उपकरणों को लगाने और उनकी देखभाल के लिए अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता होगी।
सरकार का रुख
MoRTH ने संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और सरकार इस पर सलाह-मशविरा कर रही है।
वजन आधारित Toll Tax सिस्टम ओवरलोडिंग की समस्या को कम करने का एक संभावित समाधान है। हालांकि, इस प्रस्ताव के फायदे और नुकसान दोनों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है। यह देखना होगा कि सरकार इस प्रस्ताव को लागू करने का फैसला लेती है या नहीं और अगर लेती है तो इसे किस तरह से लागू किया जाएगा।