बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को ही Caste Census की रिपोर्ट जारी की है। इस Caste Census में की रिपोर्ट में सामान्य वर्ग के लोगों की आबादी 15 प्रतिशत आयी है। इसके साथ ही पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 प्रतिशत से ज्यादा है, वहीं अनुसूचित जाति की आबादी करीब 20 फीसदी है। इस आंकड़ों को बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक सिंह एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पेश किया।
214 जातियों के आंकड़े किये गए है जारी
आपको बता दें कि बिहार सरकार ने कुल 214 जातियों के आंकड़े जारी किए हैं। इसमें कुछ जाती ऐसी भी हैं जिसकी कुल आबादी संख्या 100 से भी कम है। सरकार द्वारा जारी इस रिपोर्ट में 214 जातियों के अलावा 215वें नंबर पर अन्य जातियों का भी जिक्र किया गया है। इस आंकड़े में राज्य की कुल आबादी 13,07,25,310 है। वहीं सर्वेक्षित परिवारों की संख्या 2,83,44,107 है। इसमें कुल छह करोड़ 41 लाख पुरुष और छह करोड़ 11 लाख महिलाएं हैं। इसी के साथ राज्य में प्रति 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं होने का आंकड़ा सामने आया हैं।
बिहार में 81.99 प्रतिशत है हिन्दू की आबादी
धर्मों के हिसाब से आंकड़ों की बात की जाए तो बिहार में 81.99 प्रतिशत यानी लगभग 82% हिंदू हैं। बिहार में इस्लाम धर्म को मानने वाले 17.7% आबादी है। शेष ईसाई सिख बौद्ध जैन या अन्य धर्म मानने वालों की संख्या 1% से भी कम है। वहीं राज्य भर में 2146 लोग किसी धर्म को नहीं मानते हैं। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नितिश कुमार जब भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्ता में थे उसी दौरान बिहार विधानसभा और विधान परिषद ने राज्य में जाति आधारित जनगणना कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद 1 जून 2022 को सर्वदलीय बैठक में इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
जानिए, किस वर्ग की कितनी आबादी
- सामान्य वर्ग – 15.52%
- पिछड़ा वर्ग- 27.12%
- ओबीसी – 36.1%
- अनूसूचित जाति- 19.65%
- अनूसचित जनजाति – 1.68%
दो चरणों में की गयी थी Caste Census
बिहार में जाति आधारित जनगणना को दो चरणों में आयोजित किया गया था। इसका पहला चरण 7 जनवरी से शुरू किया गया था और 21 जनवरी तक पूरा हो गया था, जिसमें राज्य भर के मकानों की गिनती की गई थी। वहीं इसके दूसरे चरण के Caste Census की शुरुआत 15 अप्रैल से की गई थी जिसे 15 मई को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
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लेकिन, उस दौरान यह मामला कोर्ट में चला गया। जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने Caste Census पर रोक लगा दिया था। बाद में फिर पटना हाईकोर्ट ने ही जाति आधारित जनगणना को हरी झंडी दी। दूसरे चरण के जनगणना में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय समेत अन्य जानकारियां ली गई थी। इसके बाद इस मामले को सुप्रीमो कोर्ट में भी ले जाया गया। लेकिन, कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।