Castor Farming: बिहार में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो सकती है। दरअस वाणिज्य विभाग और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, बिहार में Castor की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। अरंडी के बीजों से निकलने वाले तेल का इस्तेमाल विभिन्न औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में किया जाता है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण उत्पाद इंजन ऑयल है।
अभी तक भारत में Castor के तेल का आयात किया जाता है। लेकिन, बिहार सरकार की इस पहल से राज्य में ही अरंडी की खेती को बढ़ावा देकर न सिर्फ आयात कम किया जा सकता है, बल्कि इंजन ऑयल के घरेलू उत्पादन की भी शुरुआत की जा सकती है। इससे न सिर्फ बिहार को आर्थिक रूप से लाभ होगा बल्कि राज्य में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
अरंडी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
अच्छी खबर यह है कि बिहार की जलवायु Castor की खेती के लिए काफी अनुकूल है। राज्य के अधिकांश इलाकों में अरंडी की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। साथ ही, अरंडी की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। यह कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है, जो बिहार जैसे राज्य के लिए फायदेमंद है।
केंद्र सरकार दे सकती है बड़ा प्रोजेक्ट
खबरों के अनुसार, बिहार कृषि विश्वविद्यालय को Castor पर शोध कार्य करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक बड़ा प्रोजेक्ट दिए जाने की स्वीकृति मिल सकती है। इस शोध के तहत अरंडी की ऐसी किस्मों को विकसित करने पर ध्यान दिया जाएगा जो बिहार की जलवायु के अनुकूल हों। साथ ही, किसानों को अरंडी की खेती करने के लिए उचित प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
अरंडी की खेती के फायदे
Castor की खेती अन्य फसलों की तुलना में कम लागत और कम मेहनत वाली मानी जाती है। इसकी एक बार बुवाई करने के बाद कई सालों तक उपज प्राप्त की जा सकती है। वहीं, अरंडी की फसल सूखा सहने में भी सक्षम होती है, जो बिहार जैसे राज्य के लिए फायदेमंद है। साथ ही, अरंडी की जड़ें मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती हैं।
इंजन ऑयल का उत्पादन खोल सकता है नए अवसर
यदि बिहार में Castor की व्यापक खेती शुरू हो जाती है, तो इससे राज्य में इंजन ऑयल के उत्पादन की भी शुरुआत की जा सकती है। फिलहाल, देश में इस्तेमाल होने वाले इंजन ऑयल का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। ऐसे में बिहार में ही अरंडी के बीजों से इंजन ऑयल का उत्पादन होने से न केवल आयात कम होगा बल्कि इससे राज्य में कई नई इंडस्ट्रीज भी लग सकती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
किसानों के लिए नई आय का जरिया
Castor की खेती बिहार के किसानों के लिए आय का एक नया जरिया बन सकती है। अरंडी के बीजों की बाजार में अच्छी मांग रहती है और इन बीजों से निकलने वाले तेल का औद्योगिक रूप से भी खूब इस्तेमाल होता है। ऐसे में अरंडी की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है।
विश्वविद्यालय में हो रहा है शोध
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में Castor पर शोध कार्य भी शुरू किया जा रहा है। इस शोध के तहत अरंडी की ऐसी उन्नत किस्मों को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है जो कम समय में ज्यादा पैदावार दें। साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि अरंडी की खेती की लागत को और कैसे कम किया जा सकता है।
अगर यह शोध कार्य सफल होता है, तो बिहार में Castor की खेती को और भी ज्यादा बढ़ावा मिल सकता है। इससे बिहार देश में अरंडी के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन सकता है।