CBSE Action: बिहार और झारखंड के 36 स्कूलों के लिए बड़ी परेशानी का सबब आया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने इन स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है, जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। यह कार्रवाई इन स्कूलों द्वारा उच्च शुल्क वसूली के बावजूद अपर्याप्त सुविधाओं और निम्न शैक्षणिक मानकों के चलते की गई है।
मान्यता रद्द होने वाले स्कूलों में 26 बिहार के और 10 झारखंड के हैं। CBSE ने जांच में पाया कि ये स्कूल छात्रों से मोटी रकम वसूल लेते थे, लेकिन उन्हें उचित शैक्षिक वातावरण, योग्य शिक्षक, या पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं नहीं प्रदान करते थे। कई स्कूलों में लैबोरेटरी, पुस्तकालय, खेल का मैदान जैसी आवश्यक सुविधाएं न के बराबर थीं।
इस कदम से प्रभावित स्कूलों के छात्रों में भारी चिंता का माहौल है। कुछ तो 10वीं या 12वीं कक्षा में हैं और बोर्ड परीक्षाओं के सामने खड़े हैं। अब उनके मन में सवाल है कि उनका भविष्य क्या होगा, वे अपनी शिक्षा कहां से पूरी करेंगे?
हांलाकि CBSE ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि फैसले से इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य खराब न हो, इसलिए बोर्ड ने य़हां के छात्रों को आखिरी बार पेपर देने का मौका दिया है. बता दें कि इन स्कूलों में 7000 से भी ज्यादा छात्रों ने बोर्ड परीक्षा के लिए फॉर्म भरा था.
CBSE बोर्ड का कहना है कि ये सभी स्कूल छात्रों से बड़ी रकम वसूल रहे थे, लेकिन पढ़ाई और व्यवस्था के नाम पर कोई छात्रों को कोई सुविधा नहीं दे रहे थे. बोर्ड ने जांच के माध्यम से ऐसी स्कूलों को चिन्हिंत किया और अब बड़ी कार्रवाई करते हुए लापरवाही बरतने वाले ऐसे सभी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है.
गौरतलब है कि स्कूलों को CBSE बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए बोर्ड की ओर से तय किए गए कुछ मानदंडों को फॉलो करना अनिवार्य होता है। इन्हें सीबीएसई एफिलिएशन बाई लॉज कहा जाता है। इन लॉज में स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर, लैब, लाइब्रेरी, क्लास की साइज, पढ़ाई की क्वालिटी, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज की व्यवस्था समेत अन्य चीजों को लेकर नियम निर्धारित हैं। जो भी स्कूल इन शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाती है। आप लॉज से जुड़ी पूरी जानकारी CBSE के वेबसाइट से चेक कर सकते हैं।
दूसरी ओर, जिन स्कूलों की मान्यता रद्द हुई है, उनके प्रबंधन ने भी अपनी सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के निरीक्षण में तकनीकी खामियां थीं और कुछ आरोप निराधार हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि कुछ कमियां हो सकती हैं, जिन्हें दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे थे
लेकिन कई सवाल अभी भी अनसुल हैं। क्या सभी छात्रों को आसानी से अन्य स्कूलों में प्रवेश मिल पाएगा? क्या उनकी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी प्रभावित होगी? ये चिंताएं जायज हैं और CBSE को इनका समाधान शीघ्र ही खोजना होगा।
इस घटना से सबक लेना जरूरी है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त नियम-कायदे बनने चाहिए और उनका सख्ती से पालन होना चाहिए। स्कूलों के नियमित निरीक्षण भी जरूरी हैं, ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मानकों को लगातार बनाए रखा जा सके।