बिहार में गर्मी बढ़ने के साथ ही एक बार फिर चमकी Fever (AES – Acute Encephalitis Syndrome) का साया मंडराने लगा है। स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है और राज्य के सभी जिलों में इसकी रोकथाम के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। दरभंगा में सोमवार को हुई ऑनलाइन बैठक में स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने स्थिति की समीक्षा की और निर्देश दिए कि सभी जिलों में चमकी बुखार से निपटने के लिए पूरी मुस्तैदी से काम किया जाए।
चमकी Fever का प्रकोप : अतीत में हुई भारी तबाही का सबक
बता दें कि साल 2019 और 2021 में बिहार में चमकी Fever का भयानक प्रकोप देखने को मिला था। सैकड़ों बच्चों की इस बीमारी से जान चली गई थी। इस त्रासदी के बाद स्वास्थ्य विभाग हर साल गर्मी के मौसम में अलर्ट रहता है। विभाग का प्रयास है कि इस बार चमकी बुखार को फैलने से रोका जा सके।
दरभंगा में हुई समीक्षा बैठक में क्या चर्चा हुई?
स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने दरभंगा में आयोजित बैठक में राज्य के सभी जिलों के प्रभारी सिविल सर्जनों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में चमकी Fever के प्रति सतर्कता बरतें। उन्होंने अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में दवाइयों और अन्य जरूरी उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कहा। साथ ही, उन्होंने आशा और आशा कार्यकर्ताओं को गांवों में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
लक्षण दिखने पर देरी न करें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
चमकी Fever के आम लक्षणों में तेज बुखार, बेहोशी, शरीर में अकड़न, उल्टी और दौरे शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अगर बच्चों में ये लक्षण दिखाई दें, तो देरी न करें और तुरंत नजदीकी अस्पताल में ले जाएं। जल्द इलाज से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की रोकथाम योजना
चमकी Fever की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग कई कदम उठा रहा है। विभाग का फोकस जागरूकता अभियान चलाने, अस्पतालों में चिकित्सीय व्यवस्था को मजबूत बनाने और प्रभावी निगरानी प्रणाली स्थापित करने पर है।
चमकी बुखार से बचाव के लिए सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की रोकथाम योजना ही काफी नहीं है। लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है। बच्चों को धूप में ज्यादा देर तक खेलने न दें। उन्हें साफ पानी पिलाएं और पौष्टिक आहार दें। साथ ही, आसपास साफ-सफाई का भी ध्यान रखें।