सूर्य देव के प्रति समर्पण और अटूट श्रद्धा का प्रतीक Chhath महापर्व आज से शुरू हो गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रती सूर्य देव की उपासना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कठिन व्रत रखते हैं। आज Chhath पूजा का पहला दिन नहाय-खाय है। सूर्य की आराधना का महापर्व छठ पूजा आज से शुरू हो गया है। छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस साल छठ पूजा 17 नवंबर से 20 नवंबर तक मनाई जाएगी।
नहाय-खाय:
नहाय-खाय छठ पूजा का पहला दिन है। इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध होकर नए वस्त्र धारण करते हैं और भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में चना दाल, लौकी की सब्जी और रोटी शामिल होती है। इस दिन व्रती सूर्य देव को भोग लगाते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। नहाय-खाय के साथ ही Chhath पूजा की शुरुआत होती है।
खरना:
खरना Chhath पूजा का दूसरा दिन है। इस दिन व्रती सुबह से ही निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ से बनी खीर खाते हैं। खीर का भोग सूर्य देव को लगाया जाता है। इस दिन व्रती सूर्य देव के मंदिर में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। खरना के दौरान व्रती केवल गुड़ से बनी खीर खाते हैं। खरना के बाद व्रती अगले दिन तक उपवास रखते हैं।
संध्या अर्घ्य:
संध्या अर्घ्य Chhath पूजा का तीसरा दिन है। इस दिन व्रती शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के लिए व्रती घाट पर जाते हैं और वहां पर बनाए गए छठ के पूजा स्थल पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं।
उगते सूर्य को अर्घ्य:
उगते सूर्य को अर्घ्य Chhath पूजा का चौथा और अंतिम दिन है। इस दिन व्रती सुबह से ही घाट पर जाते हैं और वहां पर सूर्य देव के उगने का इंतजार करते हैं। सूर्य देव के उगने के बाद व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं और उनके 36 घंटे के कठिन व्रत का समापन होता है।
Chhath पूजा एक ऐसा पर्व है जो सूर्य देव के प्रति अटूट श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान व्रती सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए कठिन व्रत रखते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। छठ पूजा का महत्व यह है कि यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें सूर्य देव के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हमेशा शुद्ध मन और कर्म से रहना चाहिए।