बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मची हुई है। गुरुवार की शाम मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। जद(यू) नेता ने राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात कर राज्य विधानसभा में अपने बहुमत का पत्र सौंपा। अब बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार का ही राज कायम रहेगा।
सूत्रों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनावों में Nitish Kumar एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं और उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। हालांकि, इस बार सरकार में दो उपमुख्यमंत्री भी होंगे, जिससे राज्य की राजनीति में एक नया समीकरण बनता दिख रहा है।
दोनों दलों में सहमति लगभग बनी
सूत्रों का कहना है कि एनडीए के घटक दलों – बीजेपी और जेडी(यू) – के बीच लगभग सहमति बन गई है। हालांकि इस बार एनडीए के समीकरण में थोड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री Nitish Kumar ही रहेंगे, लेकिन उनके साथ इस बार दो डिप्टी सीएम होंगे। एक पद जद(यू) कोटा से भर जाएगा, जबकि दूसरा बीजेपी के पास रहेगा। जद(यू) की ओर से डिप्टी सीएम कौन होगा, इसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है।
क्यों हो रहा है ये बदलाव?
इस बदलाव के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। एक वजह यह है कि Nitish Kumar 2005 से लगातार मुख्यमंत्री रहे हैं और उनके अनुभव और कार्यकुशलता को नकारा नहीं जा सकता। दूसरी वजह यह है कि बीजेपी को अकेले बहुमत मिलने की संभावना कम दिख रही है, इसलिए जेडी(यू) के साथ गठबंधन उनके लिए जरूरी हो जाता है। साथ ही, दो उपमुख्यमंत्री का फॉर्मूला दोनों दलों को सत्ता में भागीदारी का एहसास देगा और किसी भी असंतोष को कम करने में मदद करेगा।
क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि, इस नए फॉर्मूले के सामने भी कई चुनौतियां हैं। एक चुनौती यह है कि दोनों दलों के बीच सत्ता साझा करने का यह तरीका नया है, ऐसे में आपसी समन्वय बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। दूसरी चुनौती यह है कि जेडी(यू) के अंदर ही Nitish Kumar के कुछ विरोधी हैं, जो इस नए फॉर्मूले से खुश नहीं हो सकते हैं। तीसरी चुनौती यह है कि बिहार में जातिगत समीकरण भी महत्वपूर्ण हैं, और इस नए फॉर्मूले को सभी जातियों को संतुष्ट करना होगा।
आम लोगों की क्या प्रतिक्रिया?
बिहार के आम लोग इस नए फॉर्मूले को लेकर अलग-अलग राय रखते हैं। कुछ लोग इसे सरकार में स्थिरता लाने का एक अच्छा तरीका मानते हैं, जबकि कुछ लोगों को लगता है कि इससे सत्ता में भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। कुछ लोग Nitish Kumar के नेतृत्व में खुश हैं और उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, जबकि कुछ लोग बदलाव चाहते हैं।
आगे क्या होगा?
अभी यह बताना मुश्किल है कि बिहार की राजनीति में आगे क्या होगा। आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजे ही तय करेंगे कि Nitish Kumar दो उपमुख्यमंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री बन पाएंगे या नहीं। लेकिन यह तय है कि बिहार की राजनीति में एक बार फिर से घमासान मचा हुआ है और आने वाले दिनों में कई दिलचस्प घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।