Cipla कंपनी के नाम तो हर भारतवासी ने सुना होगा। दरअसल Cipla मुख्य रूप से श्वसन, हृदय रोग, गठिया, मधुमेह, आदि के इलाज के लिए दवाएं विकसित करती है जिसकी स्थापना ख्वाजा अब्दुल हमीद ने 1935 में मुंबई में द केमिकल, इंडस्ट्रियल एंड फार्मास्युटिकल लेबोरेटरीज के रूप में की थी। 20 जुलाई 1984 को कंपनी का नाम बदलकर सिप्ला लिमिटेड (CIPLA LTD) कर दिया गया। Cipla की स्थापना देश के आजादी से पहले हुई थी। एक तरह से देखा जाए तो Cipla भारत के सुख दुख का साथी रहा है।
परंतु आज Cipla के मालिक के लिए ये चिंता का विषय हो गया है क्योंकि आज Cipla कंपनी बिकने के कगार पर पहुँच गईं है। इस कंपनी की डील पर कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने tweet करके कहा, “देश की प्रमुख दवा कंपनी सिप्ला के ‘ब्लैकस्टोन’ द्वारा ‘अधिग्रहण’का विषय एक चिंता का विषय है। यह कंपनी देश के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का हिस्सा रही है। दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट इक्विटी फंड (Private Equity Fund) ‘ब्लैकस्टोन’ (Blackstone) सिप्ला के प्रमोटर की 33.47 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अगले सप्ताह तक गैर बाध्यकारी bid लगा सकता है।“ इस statement को सुनने के बाद देश में Cipla कंपनी को लेकर काफ़ी चर्चा होने लगी है।
कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने वाली है Cipla?
‘ब्लैकस्टोन’ देश की सबसे पुरानी दवा कंपनी सिप्ला में पूरी 33.47 % की प्रवर्तक की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए मन बना लिया है। Cipla की स्थापना में महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आजार का गहरा प्रभाव था, उन्होंने सीएसआईआर (CSIR) के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। Cipla कंपनी में अब ब्लैकस्टोन भी stakeholder होगा।
Cipla की स्थापना बनी Nationalism के लिए एक बड़ा उदाहरण
Cipla के विषय में जयराम नरेश ने कहा,“Cipla nationalism के काल में एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण के तौर पे देखने को मिला। उनके बेटे यूसुफ हामिद ने सिप्ला को कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं का दुनियाभर में आपूर्तिकर्ता बनाया। Cipla कंपनी ने अमेरिकी, जर्मन और ब्रिटिश एकाधिकार और पेटेंट धारकों को लिए एक अच्छा competitor बना।.’ ‘यूसुफ हामिद ने कई अन्य भारतीय कंपनियों के लिए अलग-अलग देशों में खुद को स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया; वह सबसे आकर्षक और दिलचस्प व्यवसायियों में से एक हैं जिन्हें जानने का मुझे सौभाग्य मिला है। “
Cipla भारत का एक मूल्यवान हिस्सा है जिसका देश में स्थापित होना ही भारत के लिए गर्व की बात है। इसके stakes बिकने पर भले ब्लैकस्टोन के पास Cipla का एक बड़ा हिस्सा होगा परंतु Cipla का नाम व वजूद भारत के इतिहास से कभी भी नहीं मिट सकता है।