KFS: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम लोगों और छोटे मध्यम उद्यमियों (MSME) को लोन लेने की प्रक्रिया आसान बनाने का बड़ा फैसला किया है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि अब सभी बैंकों को व्यक्तिगत और MSME दोनों तरह के कर्जों के लिए लोन लेने वालों को “Key Fact Statement” (KFS) देना अनिवार्य होगा।
क्या है KFS और किसे मिलेगा?
KFS एक दस्तावेज है जिसमें लोन से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी को आसान भाषा में बताया जाएगा। इसमें लोन की राशि, ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस, पेमेंट शेड्यूल, अन्य शुल्क और अन्य महत्वपूर्ण शर्तें शामिल होंगी। यह दस्तावेज लोन स्वीकृत होने से पहले ही लोन लेने वाले को दिया जाएगा।
इसके लिए बताते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने विनियमित इकाईयों (REs) द्वारा अधिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए हाल के दिनों में कई उपायों की घोषणा की है। ऐसा ही एक उपाय यह है कि लोन देने वालों को अपने ग्राहकों को एक सरल और समझने में आसान प्रारूप में लोन समझौते (Loan Agreement) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी वाला एक केएफएस प्रदान करना होगा।
क्यों जरूरी है ‘की-फैक्ट स्टेटमेंट’?
अक्सर, बैंक लोन लेते समय ग्राहकों को जटिल शर्तों और लंबे-चौड़े दस्तावेजों से गुजरना पड़ता है, जिससे उन्हें लोन की सही जानकारी समझने में परेशानी होती है। ‘की-फैक्ट स्टेटमेंट’ से यह समस्या दूर हो जाएगी। ग्राहक आसानी से समझ सकते हैं कि उन्हें कितनी राशि मिलेगी, कितना ब्याज देना होगा और लोन की अन्य शर्तें क्या हैं। इससे लोन लेने का फैसला लेना भी उनके लिए आसान हो जाएगा।
KFS से क्या फायदा?
पारदर्शिता: इससे लोन लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और लोन लेने वाले को शुरू से ही सभी शर्तों की जानकारी हो जाएगी।
बेहतर तुलना: अलग-अलग बैंकों के KFS की तुलना करके लोन लेने वाले बेहतर फैसला ले सकेंगे और अपने लिए सबसे उपयुक्त लोन चुन सकेंगे।
जागरुकता: लोन की सभी शर्तों को स्पष्ट रूप से जानने से लोन लेने वाले अधिक जागरुक रहेंगे और गलत फैसले लेने से बच सकेंगे।
RBI का यह फैसला कब से लागू होगा?
RBI गवर्नर ने बताया कि KFS देने का नियम 1 जुलाई 2024 से सभी बैंकों पर लागू हो जाएगा। बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि KFS को स्पष्ट और सरल भाषा में तैयार किया जाए और इसे लोन लेने वाले को आसानी से समझ में आ सके। यह कदम कर्जधारकों के लिए राहत की खबर है। KFS के जरिए वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी और कर्जधारक सशक्त होंगे। उम्मीद है कि इस कदम से ऋण प्रक्रिया में सुधार होगा और बैंक व कर्जधारकों के बीच संबंध मजबूत होंगे।