हर किसी के जीवन में कोई ना कोई एक व्यक्ति प्रिय जरूर होता है जिसके चले जाने पर जिंदगी उदास सी लगने लगती है फिर चाहे आपके पास तमाम धन, दौलत और रुतबा क्यों ना हो. उस इंसान के चले जाने से सब फीका लगता है. जगजीत सिंह (Jagjit Singh) एक ऐसी शख्सियत थे जो अपनी गायकी से दिल जीतने की ताकत रखते थे पर उनकी जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ कि उन्होंने सब कुछ खो दिया. उसके बाद ना ही तो उन्हें अपने रुतबे से प्यार रहा, नाहीं वह दोबारा अपनी गायकी से वह पुराना जादू कर पाए.
आईए जानते हैं अपनी मखमली आवाज के दम पर दुनिया को दीवाना बनाने वाले जगजीत सिंह (Jagjit Singh) के जीवन में वह कौन सी घटना हुई थी, जिसके बाद वह पूरी तरह टूट गए थे. वह राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले थे. वहां पर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए एक स्मारक बनाया जा रहा है ताकि उनसे जुड़ी हुई चीजों को हमेशा के लिए सहेज कर रखा जा सके.
इन गजलों में आज भी जिंदा है Jagjit Singh
जगजीत सिंह (Jagjit Singh) का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में हुआ था जिनका वास्तविक नाम जगमोहन सिंह धीमान था. उनका परिवार पंजाब के रोपेड़ा जिले में रहता था. उन्होंने हाई स्कूल और सरकारी कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद डीएवी कॉलेज जालंधर से कला की डिग्री प्राप्त की. जगजीत सिंह की आवाज में एक अलग ही दर्द था जो शायद जिंदगी से ही उन्हें तोहफे में मिला था. 1961 में ऑल इंडिया रेडियो के जालंधर स्टेशन पर एक सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी, फिर साल 1976 में द अनफॉरगेटेबल नाम का उनका एल्बम आ गया जिस वजह से उनके करियर को आगे रफ्तार मिली.
साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म सरफरोश में जब उन्होंने ‘होश वालों को खबर क्या’ गजल गाया तो हर कोई इसका दीवाना हो गया और आज कई दशक बाद भी इसे लोग गुनगुनाना पसंद करते हैं. इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड में चिट्ठी ना कोई संदेश, कोई फरियाद, जब सामने तुम आ जाते हो जैसे कई गजलों से लोगों का मन मोहने का काम किया. इसके अलावा मुझसे बिछड़ कर खुश रहते हो, तुमने दिल की बात कह दी, मुझे होश नहीं, यह जो जिंदगी की किताब है, याद नहीं क्या-क्या देखा था, तेरे आने की जब खबर महके जैसे कई गजलों से उन्होंने लोगों का दिल जीता था.
बेटे के जाने के गम में गाया ये गाना
जगजीत सिंह (Jagjit Singh) के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था फिर एक दिन उन पर दुखों का पहाड़ टूट गया. वह किसी एक प्रोग्राम में ही थे जिसके बाद उन्हें यह पता चला कि उनका इकलौता बेटा विवेक कार एक्सीडेंट में अपनी जान गवा चुका था. इस घटना के बाद वह पूरी तरह से टूट चुके थे और इस दुख से शायद कभी वह उभर नहीं पाए क्योंकि 18 साल के जवान बेटे को खोने का सदमा उन्हें अंदर ही अंदर खाया जा रहा था. इस दुख में उन्होंने गायकी को अलविदा कह दिया. हालांकि कुछ समय बाद इन सभी दर्द और गम को भुलाकर उन्होंने अपने आप को संभाला और संगीत की दुनिया में दोबारा वापसी की. उन्होंने अपने बेटे की याद में ही ‘चिट्ठी ना कोई संदेश’ से अपना दर्द बयां किया था जो आज भी यूट्यूब पर लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता है.
उनकी याद में एक करोड रुपए की लागत से एक डबल स्टोरी स्मारक बनाया जा रहा है. वह जिन तबले पर रियाज किया करते थे वह आज भी श्रीगंगानगर में सुरक्षित है, जिन्हें स्मारक में रखा जाएगा. जब 2011 में यूके में गुलाम अली के साथ जगजीत सिंह (Jagjit Singh) को परफॉर्म करना था उस वक्त वह काफी बीमार पड़ गए थे और खबर मिली कि 10 अक्टूबर 2011 को उन्होंने दुनिया को अलविदा का कह दिया.