बॉलीवुड के मल्टी टैलेंटेड कलाकार कहे जाने वाले पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) आज किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है, जो आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं. आज भले ही पंकज त्रिपाठी की जिंदगी चकाचौंध भरी हो पर यहां तक पहुंचाने के लिए उन्हें कुछ ऐसा करना पड़ा था जिसके बारे में शायद सपने में भी कोई नहीं सोच सकता है. उनके पिता यह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि वह एक कलाकार बने. अपने पिता के डॉक्टर बनने के सपने को तोड़कर पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) यहां पहुंचे है.
इस तरह बदली जिंदगी
1955 से 2001 के बीच उन्होंने पटना में नाटक किया और कई अखबार की हेडलाइन में भी वह नजर आते थे. मुंबई आने के दौरान उनका संघर्ष जारी रहा जिसके बाद 2004 में उन्हें रन फिल्म में डेब्यू करने का मौका मिला. हालांकि उसमें उनका केवल गेस्ट अपीयरेंस रोल था.
इसके बाद अपहरण, ओमकारा, धर्म, शौर्य, चिंटू जी, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर पार्ट 1, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर पार्ट 2, फुकरे, गुंडे, मांझी द माउंटेन मैन, निल बटे सन्नाटा, न्यूटन, स्त्री, लूडो, रूही अफजाना, कागज, मिनी और मिर्जापुर जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय से हर किसी के दिल में एक अलग जगह बना ली. आज उन्हें जिस भी फिल्म में शामिल किया जाता है, वह अपने अभिनय से एक अलग ही तड़का जोड़ देते हैं.
जब खाने पड़े थे कीड़े
पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) ने अपने पुराने इंटरव्यू में यह बताया था कि उन्हें किसी शख्स ने यह सलाह दी थी कि तेज रफ्तार में दौड़ने के लिए उन्हें हाथ में एक बार नदी का पानी भरना होगा और फिर जितने भी कीड़े उनके हाथ में आएंगे, उसे खाना होगा. ऐसा करने से वो बहुत तेज दौड़ने लगेंगे. उस वक्त बिना सोचे समझे पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) उस शख्स की बातों में आ गए थे. इतना ही नहीं एक बार कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उन्होंने एबीवीपी ज्वाइन की थी जिसके बाद वह एक आंदोलन में शामिल हुए थे. इसी चक्कर में उन्हें लगभग एक सप्ताह तक जेल की सजा काटना पड़ा.