किसकी किस्मत उसे कहां ले जाए, ये उस व्यक्ति को खुद भी नहीं पता होता. बचपन में तो हर कोई डॉक्टर, इंजीनियर और आईएएस बनने का सपना देखता है पर बड़ा होकर वह क्या बनेगा यह शायद उसे खुद भी नहीं पता होता. बॉलीवुड में अपने अभिनय से लोगों का मनोरंजन करने वाली वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी एक हीरोइन बनेगी क्योंकि वह बचपन में अपने आप को डॉक्टर के रूप में देखना चाहती थी, लेकिन पिता के मौत ने सब कुछ बदल दिया और उनका जीवन, एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया जिसके बारे में उन्हें कुछ ख्याल भी नहीं था.
इस तरह फिल्मों में बनाई पहचान
वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) का जन्म 3 फरवरी 1938 को तमिलनाडु राज्य में हुआ. जन्म के तुरंत बाद उनके पिता का इंतकाल हो गया था. पिता की मृत्यु के 7 वर्षों बाद उनकी मां भी चल बसी. वह अपने माता-पिता की चार बेटियों में सबसे छोटी थी. उन्होंने विशाखापट्टनम में सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की. वहीदा रहमान ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत तेलुगू सिनेमा रोज़ुलु मारई में बाल कलाकार की भूमिका के साथ की, जिस समय तक वह भरतनाट्यम की उम्दा नृत्यांगना बन चुकी थी. इसी दौरान हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और निर्माता निर्देशक गुरु दत्त के संपर्क में वह आई और उन्हें 1956 में देव आनंद के साथ सीआईडी फिल्म में खलनायिका की भूमिका में लिया गया और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही.
इसके अगले साल गुरु दत्त और वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) की क्लासिक फिल्म प्यासा रिलीज हुई. इसके बाद तो उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग ही पहचान मिल गई. इसके बाद उन्होंने कागज के फूल, चौद्हवी का चांद, साहिब बीवी और गुलाम, फुल मून, 12 ओ’क्लॉक, रूप की रानी चोरों का राजा, प्रेम पुजारी, राम और श्याम, पत्थर के सनम, एक फूल चार कांटे, मुझे जीने दो, मेरी भाभी, रेश्मा और दर्पण जैसी सुपरहिट फिल्मे दी.
मुकम्मल नहीं हो पाई प्रेम कहानी
उस वक्त गुरु दत्त एक ऐसी शख्सियत थे जिनके साथ काम करने के लिए बड़े-बड़े सितारे हर शर्त मान लिया करते थे, लेकिन उस वक्त गुरु दत्त जैसे व्यक्तित्व ने वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) के सामने घुटने टेक दिए थे और वहीदा रहमान की हर शर्त मानने को तैयार थे. दोनों ने एक साथ कई सुपरहिट फिल्मे दी. यही से गुरुदत्त और वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी. जब यह बात गुरुदत्त की पत्नी को पता चली तो वह बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गई.
कहा जाता है कि उस वक्त शादीशुदा गुरु दत्त के प्यार में वहीदा रहमान पड़ गई थी, पर गुरु दत्त ने अंत में अपनी प्रेमिका नहीं बल्कि अपनी पत्नी को चुना पर शायद ये सदमा गुरु दत्त भी बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होंने आत्महत्या कर ली. उधर वहिदा रहमान ने कमलजीत से शादी करके अपना घर परिवार बसा लिया फिर वह अपने फिल्मी दुनिया में मग्न हो गई. मौजूदा समय में वहीदा रहमान को फिल्मों में उनके योगदान और समर्पण के लिए दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया है जो फिल्मी जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है.