Adani-Hinderburg Case: कुछ दिन पहले ही इस साल की शुरुआत में अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर करने के लिए ऑफशोर कंपनियों का उपयोग करने और अकाउंटिंग फ्रॉड करने के मामले में गंभीर लगाया था। जिसके बाद अडानी ग्रुप की कंपनीयो के शेयर में भारी गिरावट दर्ज हुई है। इसके बाद यह मामला मार्च में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जहां इसके लिए स्पेशल कमेटी का गठन किया गया है। इस मामले पर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में 41 पेज का हलफनामा दायर किया है। इसके साथ ही मार्केट रेगुलेटर ने सुप्रीम कोर्ट से उचित आदेश भी मांगा है। वहीं गौतम अडानी ने इन सभी आरोपों को झूठा बताकर इन आरोपों का खंडन किया है।
सेबी ने जताई एक्सपर्ट कमेटी से असहमति
इस मामले में कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए सेबी ने बिना अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों पर अपनी जांच की स्टेटस रिपोर्ट का जिक्र किए हलफनामे में कहा है की, एक्सपर्ट कमेटी से विदेशों से आए फंड के बेनिफिशरी की पहचान में परेशानी होने की बात से सहमत नहीं है। इसके साथ ही सेबी ने कहा है कि वो एक्सपर्ट कमेटी की बातों से सहमत नहीं हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ आज यानी मंगलवार को सुनवाई करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच के लिए दो महीने का समय दिया था जिसे बढ़ाकर 14 अगस्त तक कर दिया गया है।
इस मामले की जांच करते हुए सेबी ने अपने 41 पेज के हलफनामे में एक्सपर्ट कमेटी के शिफारिश का विरोध किया है जिसमें कमेटी ने कहा था कि रेगूलेटर को अपनी जांच समय पर पूरा करने को कहा गया है। इसके साथ ही सेबी ने यह भी कहा है कि डेडलाइन्स देने से जांच अधूरी रखकर आधी जानकारी ही मिल पायेगी। जिससे जांच की क्वालिटी में खराबी आ सकती है। इसके साथ ही कई तरह के लीगल विवाद भी खड़े हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट को दिए गए इस हलफनामे में सेबी ने इंफोर्समेंट पॉलिसी, न्यायिक अनुशासन, स्ट्रांस सेटलमेंट पॉलिसी, डेडलाइन, निगरानी और बाजार प्रशासन उपायों समेत अन्य इश्यूज पर एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों पर अपने विचार को रखा हैं।