हाल ही में चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत ने इतिहास रचा था और पूरी दुनिया इस वक्त भारत की उस उपलब्धि पर उसे सलाम कर रही हैं, पर इस वक्त देखा जाए तो एक नए मिशन की ओर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन आगे बढ़ चुका है जिसका नाम सौर मिशन आदित्य एल 1 है. इस मिशन को 2 सितंबर को हरी कोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. इस मिशन का उद्देश्य है कि सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल 1 पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसकी दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर है. अगर इस मिशन में भारत को सफलता मिलती है तो यह बेहद ही ऐतिहासिक पल होगा.
तैयार है रॉकेट और सैटेलाइट
इस मिशन (Sun Mission) को लेकर इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने यह बताया है कि रॉकेट और सैटेलाइट इस मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार है. साथ ही साथ भारत के लोग भी इस मिशन के लिए काफी उत्साहित है. दरअसल आदित्य एल 1 को स्पेस एजेंसी का सबसे भरोसेमंद रॉकेट पीएसएलवी-c57 धरती की लोअर अर्थ आर्बिट में छोड़ेगा. आदित्य एल-1 को हेलो ऑर्बिट में डाला जाएगा, जहां L1 पॉइंट होता है.
इस यात्रा में करीब 127 दिन का वक्त लगेगा. इस मिशन में थोड़ी मुश्किल आ सकती है क्योंकि इसे दो बड़े ऑर्बिट में जाना है, क्योंकि आज तक धरती पर ऐसी कोई चीज नहीं बनी है जो सूरज की प्रचंड गर्मी को बर्दाश्त कर सके और वहां पर किसी तरह का कोई अध्ययन कर सके. यही वजह है कि एजेंसी के किसी भी स्पेसक्राफ्ट को सूरज से उतनी दूरी पर रखा जाता है, ताकि उसे कोई नुकसान न पहुंचे.
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खास तरीके से की गई है बनावट
यह भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी है. दरअसल आदित्य एल-1 सूरज से इतनी दूर तैनात होगा कि इसे गर्मी लगेगी लेकिन वह जलकर पिघल ना जाए. इस हिसाब से इसे पूरी तरह तैयार किया गया है ताकि इसरो का यह मिशन पूरी तरह सफल हो और जो जानकारी हासिल करने के लक्ष्य से इसे बनाया गया है, वह हासिल हो सके.