Dwarka Expressway Scam: समृद्धि की दिशा में बढ़ते भारत में बड़े निवेश परियोजनाओं की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच, एक महत्वपूर्ण खबर आई है कि सीएजी (CAG) ने द्वारका एक्सप्रेसवे के परियोजना में बहुत अधिक लागत की चेतावनी दी है।
जनसूचना की अनुसार, द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में प्रति किलोमीटर 18 करोड़ रुपये की बजाय 250 करोड़ रुपये की बड़ी लागत की गई है। CAG के रिपोर्ट में इस परियोजना के कुल खर्च में असमंजस और अनुचितता की चिंता जाहिर की गई है।
CAG के अनुसार, द्वारका एक्सप्रेसवे की निर्माण में हुए खर्च की जाँच में एक सीरीज़ की गई और यह पता चला कि प्रति किलोमीटर 18 करोड़ रुपये की बजाय वास्तविकतः 250 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मामले में CAG की रिपोर्ट ने सरकार को एक बड़े झटके से गुज़रने की संकेत दी है। द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत में इतनी अत्यधिक वृद्धि का मामला एक से बड़े परियोजनाओं की प्रबंधन में एक सुरक्षित और नियमित निगरानी की महत्वपूर्णता को सुनिश्चित करता है।
किस योजना के तहत बन रहा था?
आपको बता दे की भारतमाला परियोजना-1 के तहत बनाया जा रहा था यह द्वारका-एक्सप्रेसवे जो दिल्ली और गुरुग्राम में आता है। दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाली यह सड़क तक़रीबन 29 किलोमीटर लंबी है। यह सड़क दिल्ली के महिपालपुर में शिवमूर्ति के पास से शुरू होता है और गुरुग्राम में खेरकी टोल प्लाजा तक जाता है। इस एक्सप्रेसवे को 14 लेन का बनाया जा रहा है। वही अब इसकी लागत को लेकर हंगामा खड़ा होने के साथ विपक्षी नेताओं ने भी इस पर सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं।
द्वारका एक्सप्रेसवे के मामले में यह सूचना चिंताजनक है कि परियोजना की लागत में इतनी बड़ी वृद्धि कैसे हो सकी। इससे साफ है कि परियोजना के निगरानी और प्रबंधन में कई खामियाँ थीं जिन्होंने इसे इतनी अधिक लागत की दिशा में ले जाया। सरकार के इस मामले में संवाददाताओं ने प्राधिकृत विचार जानने की चेष्टा की है, लेकिन अब तक सरकार ने इस खबर का कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
क्या दिया है CAG ने अपनी रिपोर्ट में?
CAG ने साल 2017 से 2021 तक की द्वारका एक्सप्रेसवे के इस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट का ऑडिट किया है। सीएजी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के साथ-साथ दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे पर भी सवाल खड़े किये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा प्रोजेक्ट CCEA की ओर से अप्रूव्ड प्रोजेक्ट की लिस्ट में ही नहीं था और NHAI ने अपने स्तर पर 33 हजार करोड़ रुपये खर्च कर लिए है। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतमाला परियोजना-1 के तहत लगभग 76,999 किलोमीटर की सड़कें बनाई जा रही है।
इसमें से 70,950 किलोमीटर सड़क NHAI बना रहा है। जिसके बाद से अब NHAI के कई फैसलों पर अब सवाल उठ रहे हैं। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, NHAI ने CCEA की ओर से तय की गई बहुत साडी नियमावली का भी सही से पालन नहीं किया है। NHAI की 50 में से 35 प्रोजेक्ट ऐसे हैं जहां टेंडर से जुड़ी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा है।
इस मामले में सीएजी की रिपोर्ट ने सरकार के विकास परियोजनाओं के निगरानी और प्रबंधन की महत्वपूर्णता को एक बार फिर से उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी परियोजनाओं की सुरक्षित और नियमित निगरानी से ही इस प्रकार की चुनौतियों से बचा जा सकता है।