Counter-Drone System: गणतंत्र दिवस के शानदार जश्न के बीच, देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने वाली एक बड़ी खबर आई है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित Counter-Drone System का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह प्रणाली शत्रुओं के ड्रोन हमलों को रोकने में सक्षम है और हवाई सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी।
ये काउंटर-ड्रोन सिस्टम गणतंत्र दिवस परेड में भी प्रदर्शित किए गए, जिससे दर्शकों का उत्साह और बढ़ गया। डीआरडीओ ने इन प्रणालियों को विकसित करने के लिए बेहतरीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है, जिससे हवाई दुश्मनों का सफाया करने में सुरक्षा बलों को काफी मदद मिलेगी।
Counter-Drone System क्या है?
यह एक एकीकृत प्रणाली है जिसमें रडार, जैमर, और लेजर सिस्टम शामिल हैं। रडार दुश्मन के ड्रोन का पता लगाता है, जैमर उनके कंट्रोल सिग्नल को बाधित करता है, और लेजर सिस्टम उन्हें नष्ट कर सकता है। यह प्रणाली विभिन्न प्रकार के ड्रोनों को निशाना बना सकती है, जिसमें छोटे कमर्शियल ड्रोन से लेकर बड़े सैन्य ड्रोन तक शामिल हैं।
कैसे काम करता है काउंटर-ड्रोन सिस्टम?
- डीआरडीओ ने कई तरह के Counter-Drone System विकसित किए हैं, जिनमें से कुछ जमर, लेज़र और नेट-गन की तकनीक पर आधारित हैं। ये सिस्टम रडार या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के जरिए ड्रोन का पता लगाते हैं और फिर उसे निष्क्रिय करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं।
- जैमर: ये सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी तरंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ड्रोन के कंट्रोल सिग्नल को जाम कर दिया जाता है। इससे ड्रोन नियंत्रण खो देता है और या तो जमीन पर गिर जाता है या किसी सुरक्षित लोकेशन पर चला जाता है।
- लेज़र: ये सिस्टम हाई-पावर लेज़र किरणों का इस्तेमाल करके ड्रोन के महत्वपूर्ण हिस्सों को नष्ट कर देते हैं। इससे ड्रोन हवा में ही टूटकर गिर जाता है और खतरा ना रहता है।
- नेट-गन: ये सिस्टम एक नेट को हवा में फेंकते हैं, जो ड्रोन को फंसा लेता है और उसे जमीन पर गिरा देता है। इससे ड्रोन को बिना नुकसान पहुंचाए उसे कब्जे में लिया जा सकता है।
डीआरडीओ की उपलब्धि का महत्व
ड्रोन तकनीक तेजी से विकसित हो रही है और आतंकवादी और शत्रु देशों द्वारा इसका इस्तेमाल खतरा बनता जा रहा है। ऐसे में, स्वदेशी Counter-Drone System का विकास भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह प्रणाली भारत को ड्रोन हमलों से खुद की रक्षा करने में सक्षम बनाएगी और हवाई सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाएगी।
परीक्षण का सफल परिणाम
डीआरडीओ ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के दौरान Counter-Drone System का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान, प्रणाली ने दुश्मन के ड्रोन का पता लगाया, उनके कंट्रोल सिग्नल को बाधित किया और उन्हें नष्ट कर दिया। यह सफल परीक्षण दिखाता है कि प्रणाली पूरी तरह से काम कर रही है और भारत की सुरक्षा के लिए तैयार है।
डीआरडीओ Counter-Drone System को और विकसित करने की योजना बना रहा है। संगठन इस प्रणाली की रेंज और क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के ड्रोनों से निपटने के लिए इसे और अधिक प्रभावी बनाने पर काम कर रहा है।
भारत के लिए क्यों जरूरी है काउंटर-ड्रोन सिस्टम?
आतंकवादी और दुश्मन देश तेजी से ड्रोन तकनीक को इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सुरक्षा बलों और आम जनता के लिए खतरा बन सकता है। ये ड्रोन हथियार, जासूसी कैमरे या अन्य हानिकारक उपकरण ले जा सकते हैं, जिससे भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए, भारत के लिए स्वदेशी Counter-Drone System का विकास समय की मांग है।