Chandrayan-3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तरफ से Chandrayan-3 मिशन की तैयारियों में तेजी से कदम बढ़ रहे हैं, लेकिन इस मिशन की चांद पर उतरने की प्रक्रिया को बेहद जटिल बताया जा रहा है। पूर्व इसरो प्रमुख जी मधवन नायर ने इस प्रक्रिया की जटिलता को समझाते हुए बताया है कि यह क्यों इतनी मुश्किल होती है।
Chandrayan-3 मिशन का मुख्य लक्ष्य है भारतीय स्पेस रिसर्च को मजबूती देने के साथ-साथ चंद्रमा की सतह पर विज्ञान का प्रयोग करना है। इसके लिए Chandrayan-3 को सत्तर फीसदी तक चंद्रमा के पास पहुँचाया जाना है। लेकिन इस प्रक्रिया में बड़े स्तर पर तकनीकी और विज्ञानिक चुनौतियाँ होती हैं, जिन्हें पार करना मुश्किल हो सकता है।
इसरो के पूर्व प्रमुख ने लैंडिंग के टाइमिंग को क्यों कहा जटिल?
पूर्व इसरो प्रमुख जी मधवन नायर(G Madhavan Nair) ने बताया कि Chandrayan-3 के मिशन की सबसे बड़ी चुनौती ‘टचडाउन’ यानी लैंड होने का प्रोसेस की प्रक्रिया है। नायर ने बताया कि Chandrayan-3 मिशन के दौरान चंद्रमा की शक्ति को देखते हुए उसके उपांतरिक्ष यात्रा की योजना बनाना महत्वपूर्ण होता है।Chandrayan-3 को विशेष तरीके से उस वक़्त कंट्रोल करना होगा ताकि वह चंद्रमा के आकर्षण के प्रभाव को महसूस ना करें।
Chandrayan-2 मिशन के दौरान हुए विफल प्रयासों के बाद ISRO को इस बार कामयाब होने की बड़ी उम्मीद है, लेकिन यह मिशन आरंभ करने के लिए कई तकनीकी और विज्ञानिक समस्याओं का समाधान करना होगा। इसके लिए Chandrayan-3 के लैंडर को सुरक्षित तरीके से चंद्रमा की सतह पर उतारने के लिए तकनीकी योजना बनायीं गयी है।
नायर ने बताया कि Chandrayan-3 के मिशन में चंद्रमा के पृथ्वी के निकट पहुँचने के बाद उसकी सतह पर उतरने की प्रक्रिया काफी संवेदनशील होती है। Chandrayan-3 के लैंडर को सतह पर सुरक्षित तरीके से उतारने के लिए सही तरीका और समय चुनना महत्वपूर्ण होता है ताकि वह उसके निकट आने पर अपनी गति को संयमित रख सके और उतारने की सफलता प्राप्त कर सके।
कितना महत्वपूर्ण होगा आखिरी 15 मिनट?
आपको बता दे की Chandrayan-3 के लिए लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे। ISRO ने बताया है की चांद के करीब पहुंचना इस मिशन के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, इस वक्त मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद से न्यूनतम 25 किलोमीटर ही दूर है और चंद्रमा के लगातार चक्कर लगा रहा है। लेकिन लैंडिंग से पहले आखिरी के 15 मिनट का टेरर से निपटने के लिए इसरो इस बार पूरी तरह तैयार है। क्योंकि इसरो का मानना है की यही वो आखिरी 15 मिनट होंगे जब लैंडर और रोवर को इसरो के कंट्रोल रूम से कोई कमांड नहीं दी जा सकेगी और इसी दौरान Chandrayan की चाँद की सतह पर लैंडिंग होगी।
कल कितने बजे लैंड होगा Chandrayan-3?
ISRO के मुताबिक, रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के बुधवार यानि 23 अगस्त की शाम को लगभग 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर लैंड होगा। इसके काम के बारे में बताते हुए जी. माधवन नायर ने कहा कि हम चंद्रमा की सतह से जो आंकड़े इकट्ठा कर सकते हैं, वह कुछ खनिजों की पहचान करने में इस्तेमाल किया जायेगा।