कोरोना वैक्सीन Covaxin के साइड इफेक्ट्स को लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की रिपोर्ट पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने सवाल उठाए हैं। ICMR का कहना है कि BHU की ये रिपोर्ट खराब रिसर्च पद्धति का इस्तेमाल कर तैयार की गई है।
BHU की रिपोर्ट में क्या दावा किया गया?
BHU के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके एक साल के अध्ययन में Covaxin लेने वाले करीब 50 फीसदी लोगों में संक्रमण के बाद के लक्षण पाए गए। इनमें सबसे आम लक्षण किशोरियों में मासिक धर्म से जुड़ी असामान्यताएं पाई गईं। 2.7 फीसद लोगों में आंखों से जुड़ी समस्याएं और 0.6 प्रतिशत में हाइपोथायरायडिज्म मिला है। 0.3 प्रतिशत प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 0.1 प्रतिशत प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम की पहचान भी हुई।
बीएचयू के अध्ययन में यह दावा किया गया था कि कोवैक्सीन लगवाने वाले ज्यादातर लोग सांस संबंधी संक्रमण, ब्लड क्लॉटिंग और त्वचा से जुड़ी बीमारियां से प्रभावित हुए। शोधकर्ताओं ने पाया कि विशेष रूप से किशोरियों और किसी एलर्जी से पीड़ित लोगों को कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ा। हालांकि, कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी बनाई वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है।
ICMR ने क्या कहा?
ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भास्कर ने BHU की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस अध्ययन में बिना टीका लगे लोगों के नियंत्रण समूह को शामिल नहीं किया गया। ऐसे में यह बता पाना मुश्किल है कि ये लक्षण वैक्सीन के कारण हुए या किसी और वजह से। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बताए गए लक्षण आम तौर पर मौसमी बीमारियों के दौरान भी देखे जाते हैं।
ICMR के अनुसार कोवैक्सिन का सुरक्षा परीक्षण
डॉ. भास्कर ने बताया कि Covaxin के क्लीनिकल ट्रायल में 24,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया था। इन ट्रायल में वैक्सीन लेने वाले 12 फीसदी लोगों में सामान्य साइड इफेक्ट्स देखे गए थे, वहीं प्लेसीबो (निष्क्रिय पदार्थ) लेने वाले समूह में भी लगभग इतने ही लोगों में साइड इफेक्ट्स देखे गए थे। इससे पता चलता है कि Covaxin आम तौर पर सुरक्षित है।
Covaxin के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
Covaxin के ट्रायल और टीकाकरण अभियान के दौरान कुछ लोगों में कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स देखे गए थे, जिनमें इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, थकान, सिरदर्द, बुखार और शरीर में जकड़न शामिल हैं। ये साइड इफेक्ट्स आमतौर पर कुछ ही दिनों में खत्म हो जाते हैं। गंभीर साइड इफेक्ट्स बहुत ही कम देखे गए हैं।