India and China Clash: पूर्वी लद्दाख के गलवां में भारत और चीन के बीच हुई झड़प के आज पूरे तीन साल हो गए हैं। साल 2020 में 15 जून को ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। इसी की तीसरी वर्षगांठ पर गुरुवार को लेह में भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारी इकट्ठा होने जा रहे हैं। इस उच्च स्तरीय बैठक में चीन की सीमा से लगे क्षेत्र में रणनीतियों और तैयारियों पर चर्चा की जाएगी।
इस बैठक में उत्तरी कमान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, 14 कोर कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली और अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि यह बैठक चीन की सीमा से लगे क्षेत्र में सेना की तैयारियों पर चर्चा के लिए कि जा रही है।
साल 2020 से ही भारत और चीन के बीच का रिश्ता काफी तनावपूर्ण रहा है। लद्दाख के गलवां में हुई हिंसा में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। जिसके बाद एक साल तक दोनों देशों के बीच काफी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी। दोनों देशों द्वारा अपनी अपनी सीमा पर हजारों सैनिक तैनात कर दिए गए थे। वहीं इन तीन सालों में भारत ने चीन से लगने वाली करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य सुरक्षा, सिक्योरिटी ढांचे, निगरानी और युद्धक क्षमता में काफी बढ़ोतरी की है। साल 2020 में हुए हिंसक संघर्ष के बाद से भारत का चीन के साथ संबंधों को लेकर रुख एकदम साफ रहा है। जहां भारत ने हमेशा सीमा पर शांति बहाली पर जोर दिया वहीं चीन ने युद्ध का रस्ता अपनाया है।
वहीं भारत का मानना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं बहाल होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। हालांकि, हाल ही में आठ जून को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ किया था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा की स्थिति सामान्य नहीं होने पर चीन के साथ भारत के संबंधों के सामान्य होने की कोई भी उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। वहीं इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक 18 राउंड से भी अधिक की बातचीत हो चुकी है। दोनों पक्षों की तरफ से अब तक व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट को पूरा किया गया है। 23 अप्रैल को हुई 18 वें दौर की कोर कमांडर स्तर मीटिंग में दोनों पक्ष आपस में मेल से रहने और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति जताई है।