आज, 11 अक्टूबर को हम सभी Jai Prakash Narayan की 120 वीं जयंती मना रहे हैं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ ही जेपी आंदोलन के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक सुधार के लिए अपना जीवन समर्पित किया। इस मौके पर, हम आपको जयप्रकाश नारायण के जीवन और उनके महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे, जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण हैं।
Jai Prakash Narayan, जिन्हें लोकप्रिय रूप में ‘लोकनायक’ के नाम से जाना जाता है, ने अपने जीवन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ गुजारा और उन्होंने समाजवाद, लोकशाही और चरित्रवाद के मूल्यों के साथ समाज के लिए संघर्ष किया। उन्हें 1970 के दशक के मध्य में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है। जेपी आंदोलन से ही लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार जैसे नेता निकले।
बिहार के बलिया से था ताल्लुक
Jai Prakash Narayan जिन्हें लोकनायक जेपी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, समाजसेवी और विचारक थे। उनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के बलिया जिले के सिताब दियारा गाँव में हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव के मार्गदर्शन में अपने शिक्षा का आरंभ किया और फिर कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
Jai Prakash Narayan 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया। 1934 में उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की और उसके महासचिव बने। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और छह साल तक जेल में रखा गया।
जेपी आंदोलन
स्वतंत्रता के बाद Jai Prakash Narayan ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और ग्रामदान आंदोलन और सर्वोदय आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1970 के दशक में उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार की भ्रष्टाचार और निरंकुश शासन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, जिसे जेपी आंदोलन के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के कारण इंदिरा गांधी को 1975 में आपातकाल लगाना पड़ा।
जेपी आंदोलन एक छात्र आंदोलन था जो 1974 में बिहार में शुरू हुआ और पूरे भारत में फैल गया। इस आंदोलन का नेतृत्व Jai Prakash Narayan ने किया था। इस आंदोलन की शुरुआत बिहार में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ हुई। छात्रों ने सरकार से इस्तीफे की मांग की और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
आंदोलन जल्द ही पूरे भारत में फैल गया और लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। सरकार ने आंदोलन को दबाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी।1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने जेपी आंदोलन को कुचलने के लिए आपातकाल लगा दिया। आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया और हजारों लोगों को बिना किसी आरोप के गिरफ्तार कर लिया गया।
आपातकाल 1977 में समाप्त हुआ और इंदिरा गांधी सरकार चुनाव हार गई। जेपी आंदोलन ने भारत में लोकतंत्र को बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।जेपी आंदोलन का भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन ने लोगों को सरकार के खिलाफ खड़े होने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। जेपी आंदोलन ने भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जेपी आंदोलन से निकले बिहार के कई दिग्गज नेता
जब जेपी आंदोलन से उभरे उस समय के छात्र नेता लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार आदि ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इस आंदोलन ने उनको छात्र नेता से भारत की राजनीति के शीर्ष पर पहुंचाया। इसके अलावा हुकुमदेव यादव, रविशंकर प्रसाद, विजय गोयल, आजम खान, रामविलास पासवान, रेवतीरमण सिह, केसी त्यागी, स्व अरुण जेटली, स्वर्गीय सुषमा स्वराज, बीजू पटनायक आदि ऐसे नेता हैं जो भारत में शीर्ष राजनीतिक पदों रहे।
जेपी आंदोलन के दौरान कई तरह की मांगें उठाई गईं, जिनमें शामिल हैं:
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
महंगाई पर नियंत्रण
बेरोजगारी की समस्या का समाधान
शिक्षा प्रणाली में सुधार
भूमि सुधार
नागरिक स्वतंत्रता की बहाली
Jai Prakash Narayan की असली पहचान ‘जेपी आंदोलन’ के माध्यम से ही हुई। इस आंदोलन के माध्यम से वे बिहार के सामाजिक और राजनीतिक रूप से विकसित हो गए और उनकी लोकप्रियता कायम हुई। Jai Prakash Narayan का निधन 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुआ। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।