Mental Health कल्याण की नींव है और एक सार्थक और उत्पादक जीवन की ओर ले जाता है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में अब तक केवल दवा और चिकित्सा पर ही जोर दिया जाता है। Mental Health देखभाल को समुदाय में एकीकृत करने से व्यक्तियों के लिए साथियों के साथ जुड़ने, सार्थक गतिविधियों में भाग लेने और समाज में योगदान करने के अवसर पैदा होते हैं।
आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपनी सिफारिशों को लागू करने और Mental Health समस्याओं वाले व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्यों और केंद्र को एक सलाह जारी की है। एनएचआरसी ने सरकार से आयोग को सूचित रखने के लिए दो महीने के भीतर की गई कार्रवाई रिपोर्ट भेजने को कहा है।
मौजूदा कानूनों और नीतियों को करें लागू
एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल द्वारा जारी सलाह Mental Health देखभाल एक्ट, 2017 को जमीन पर लागू करने के उसके प्रयास के अनुरूप है। यह एक्ट मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं का प्रावधान करता है।
इसीलिए इस कानून में कहा गया है कि बीमा पॉलिसियों और योजनाओं में मानसिक बीमारी का इलाज, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और सामाजिक कलंक, भेदभाव और समाज में मानसिक बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी से निपटने के लिए सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियां शामिल होनी चाहिए।
आर्थिक रूप से वंचित आबादी के लिए मानसिक विकारों के इलाज को बढ़ावा देने के लिए, अब मानसिक बीमारी को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है। Mental Health प्रतिष्ठानों का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया।
बुनियादी ढाँचा और सुविधाएँ
मरीजों को आइसोलेशन में नहीं रखा जाना चाहिए या प्रतिष्ठानों में बंद नहीं किया जाना चाहिए, और उन्हें समूह मनोरंजन प्रदान किया जाना चाहिए और अन्य गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए। अब प्रौद्योगिकी, सुविधाओं और सेवाओं की समकालीन आवश्यकताओं के अनुसार प्रतिष्ठानों का पुनर्गठन करना आवश्यक है।
एनएचआरसी ने सलाह दी है कि 2027 तक जनसंख्या के आधार पर कई Mental Health पेशेवरों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत दिशानिर्देशों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा। प्रतिष्ठानों में कार्यरत सुरक्षा कर्मियों को मरीजों के अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा। स्कूलों और कॉलेजों में योग्य स्टाफ वाले परामर्शदाताओं के पद भरे जाने चाहिए। राज्य सरकार को यह कहा गया है कि Mental Health पेशेवरों के पद भरे जाएं।
ठीक हुए मरीज़ों का रिहैबिलिटेशन
डिस्चार्ज के लिए फिट घोषित होने के बाद मरीजों को एक दिन के लिए भी प्रतिष्ठान में नहीं रखा जाना चाहिए। ऐसा देखा जाता है कि कई मरीज जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, वे ठीक होने के बाद भी अस्पताल में भर्ती रहते हैं।
2017 एक्ट कहता है कि वृद्ध रोगियों के लिए रिहैबिलिटेशन प्रावधान प्रदान किए जाने चाहिए। एनएचआरसी ने सलाह दी है कि सीएसआर फंड में Mental Health को भी विषय वस्तु के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। ठीक हो चुके मरीजों को हाफ वे होम सिस्टम उपलब्ध कराया जाना चाहिए। राज्य को व्यक्ति को निःशुल्क कानूनी सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।
एनएचआरसी ने अपनी सलाह में कहा है कि मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों को उनके बैंक खाते खोलने के लिए उचित सहायता प्रदान की जानी चाहिए और उन्हें लाभ और साथ ही सामाजिक योजनाओं के बारे में जागरूक और सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। इसमें यह भी कहा गया कि अभियानों, टीवी, समाचार पत्रों और स्थानीय भाषाओं में अन्य मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर जागरूकता और संवेदीकरण किया जाना चाहिए।