New Telecommunications Act: देश में दूरसंचार क्षेत्र के नियमन के लिए एक बड़े बदलाव की शुरुआत करते हुए, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को “Telecommunications Act 2023” के कुछ प्रावधानों को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। यह अधिनियम 1885 के भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1933 के वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम और 1950 के टेलीग्राफ तार (अवैध कब्जा) अधिनियम को प्रतिस्थापित करेगा। 26 जून, 2024 से अधिनियम की कुछ धाराएं प्रभावी होंगी, जिनको हम यहां लिस्ट कर रहे हैं। आइये इनके बार में जानते हैं।
कौन से प्रावधान हुए लागू?
सरकार ने Telecommunications Act के सभी प्रावधानों को एक साथ लागू नहीं किया है, बल्कि कुछ खास सेक्शनों को ही चुना है। इनमें सेक्शन 1, 2, 10 से 30, 42 से 44, 46, 47, 50 से 58, 61 और 62 शामिल हैं। इन प्रावधानों के अनुसार, सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी संबंधों या युद्ध की स्थिति में किसी भी दूरसंचार सेवा या नेटवर्क को अपने नियंत्रण में लेने का अधिकार मिल गया है।
सरकार का क्या कहना है?
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी कुमार ने इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है। उनका कहना है कि, “यह कानून देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए आवश्यक है। आपातकालीन परिस्थितियों में दूरसंचार सेवाओं पर नियंत्रण रखना सरकार के लिए जरूरी है।”
दूरसंचार कंपनियों की चिंताएं
दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों ने इस Telecommunications Act को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकार को दूरसंचार सेवाओं पर इतना अधिक नियंत्रण नहीं मिलना चाहिए। इससे दूरसंचार क्षेत्र में निवेश प्रभावित हो सकता है और भविष्य में नई टेक्नोलॉजी लाने में भी रुकावट आ सकती है।
क्या आम लोगों पर होगा असर?
फिलहाल, इस Telecommunications Act का आम लोगों पर सीधा असर पड़ने की संभावना कम है। हालांकि, अगर किसी आपातकालीन स्थिति में सरकार दूरसंचार सेवाओं पर नियंत्रण लेती है, तो इससे आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
प्रभावित होंगी ये धाराएं
- धारा 1 और 2: ये दो धाराएं अधिनियम के लिए आधार तैयार करती हैं।
- धारा 10-30: ये धाराएं टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए रूपरेखा तैयार करती हैं। इसके अलावा लाइसेंसिंग, मिलने वाली सर्विस और कंज्यूमर प्रोटेक्शन जैसे क्षेत्रों की रूपरेखा बनाती हैं।
- धारा 42-44: ये धाराएं इंडस्ट्री के भीतर विवाद सॉल्यूशन सिस्टम को संबोधित कर सकती हैं।
- धारा 46 और 47: इनमें स्पेक्ट्रम एलॉटमेंट और मैनेजमेट से संबंधित प्वॉइंट हैं।
- धारा 50-58: ये धाराएं बुनियादी ढांचे के विकास और साझाकरण से संबंधित हो सकती हैं।
- धारा 61 और 62: ये धाराएं दंड और प्रवर्तन तंत्र पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।
ये होंगे बदलाव
सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति या युद्ध के समय में दूरसंचार सेवाओं या नेटवर्क पर नियंत्रण रखने का अधिकार होगा।
सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि को डिजिटल भारत निधि के रूप में नया रूप दिया जाएगा। यह निधि अब ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं को बढ़ावा देने के अलावा अनुसंधान और विकास और पायलट परियोजनाओं का समर्थन करेगी।
नए नियम स्पैम और दुर्भावनापूर्ण संचार के खिलाफ सुरक्षा उपायों को अनिवार्य करके उपयोगकर्ता सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
ये Telecommunications Act दूरसंचार बुनियादी ढांचे को तैनात करने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए, अधिकारों के लिए गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार को केबल और डक्ट के लिए सामान्य बुनियादी ढांचा कॉरियोर स्थापित करने का अधिकार मिलता है, जिससे अधिक कुशल नेटवर्क विकास हो सकता है।
आपातकाल में सरकार को अधिकार
नए Telecommunications Act के लागू किए गए प्रावधानों में से खास चर्चा का विषय है धारा 61। यह धारा सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, जनहित या सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आपातकालीन स्थिति में दूरसंचार सेवाओं या नेटवर्क को अपने नियंत्रण में लेने का अधिकार देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रावधान दूरसंचार क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण को बढ़ा सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि इसका इस्तेमाल केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाएगा।