जब जब इस पृथ्वी लोक पर प्राकृतिक आपदा आई है, तब तब लोगों को तबाही का सामना करना पड़ा है। अभी Himachal Pradesh एवं उत्तराखंड से लगातार खबरे आ रही हैं कि वहाँ पहाड़ ढहना व भूस्खलन जैसे आपदाओं से लोगों में दहशत का माहौल हैं। वहाँ के सदियों पुराने मंदिर भी खंडित हो रहे है।
इस आपदा का प्रकोप शिमला में भी देखा जा रहा है । नदियाँ व पर्वत बस्तियों और वहाँ के लोगों के लिए दुश्मन की तरह हो गई है।
पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन, अत्याधिक बारिश और फ्लैशफ्लड का खतरा दिन रात मंडराते रहता है। ग्लोबल वॉर्मिंग को कहीं ना कहीं इन सबके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। बढ़ती आबादी और बढ़ते टूरिस्ट भी इन प्राकृतिक आपदाओं का कारण है।खराब मैनेजमेंट और विजन की कमी पर भी इन आपदाओं के होने का आशंका जताया जा रहा है।पहाड़ो की गलत तरह से कटाई होना भी आपदा का कारण है।
हिमालय पर्वत तीन रेंज में बंटा हुआ है।ग्रेट हिमालय रेंज, लेजर हिमालय रेंज और शिवालिक श्रृखंला। ये रेंज पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 किमी की लम्बाई में फैला हुआ है। हिमालय पर्वत पूरी दुनिया में सबसे नये पर्वतों में से एक माना जाता है।
मनुष्य अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए पहाड़ो को लगातार काट रहे है। 27 जुलाई को हिमाचल के सोलन में एक FIR की गई, जिसमें NHAI और उसके सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगाए गए। शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर ने आरोप लगाया कि पहाड़ों को सही रूप से नहीं काटा जा रहा अथवा निर्माण में वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इसमें जियोलॉजिकल विभाग से सलाह नहीं ली गई जिसके कारण वहाँ के flora व fauna को क्षति पहुंचाई जा रही है।
पर्यावरणविद ने बताया आपदा का कारण :
• सड़क चौड़ीकरण
• पहाड़ों को ऊपर से काटा जाना
• पेड़ों का काटा जाना
• पहाड़ों का कमजोर होना
• हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट
• टनल बनाने के लिए विस्फोट करना
• भारी मशीनों का इस्तेमाल
मनाली में लगातार बन रहे गेस्ट हाउस भी आपदा का है कारण। बढ़ते गेस्ट हाउस के ग्राफ को नीचे दिखाया गया है :
• 1980- 10
• 1994- 300
• 2009- 800
• 2022- 2500
हिमाचल प्रदेश को दी गई विशेष चेतावनी :
935 ग्लेशियर और झीलों के टूटने का खतरा है जिस कारण से उत्तराखंड जैसी त्रासदी की आशंका बताई जा रही है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का सर्वे ने 17,120 जगहों पर भूस्कलन की संभावना जताई है। खतरे में है निम्न स्थान :
• सिरमौर में 2559,
• चंबा में 2389,
• लाहौल स्पीती में 2295,
• कांगड़ा में 1779,
• शिमला में 1357,
• बिलासपुर में 446,
• ऊना में 391,
• मंडी में 1799
• किन्नौर में 1799
हिमालय से जुड़े राज्यों में साल दर साल आपदा देखी जाती है।
हिमाचल प्रदेश में कुदरत का कहर लगातार बढ़ते जा रहा है। वहां के 12 में से 11 जिलों में भयंकर आफत आई हुई है। सड़क जहां-तहां टूट गई हैं और लोग फंसे हैं, अथवा प्रशासन, एनडीआरएफ राहत और बचाव कामों में जुटे हैं। वहाँ के लोग भूस्खलन, बाढ़ आदि से भयभीत है। लोगों को रेस्क्यू टीम के अंतर्गत रखा गया है ताकि किसी को जान का खतरा ना हो।