देश में नकली Medicine का काला कारोबार बेखौफ फल-फूल रहा है। बड़े-बड़े शहरों से लेकर गांव के कस्बों तक, मेडिकल स्टोर्स में नकली दवाएं खुलेआम बेची जा रही हैं। ये नकली दवाएं न सिर्फ मरीज़ का गलत इलाज करतीं, बल्कि मरीज़ को और बिगाड़ते हुए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
ये नकली दवाएं असली दवाइयों की नकल कर बनाई जाती हैं, जिससे पहचान करना मुश्किल होता है। लेकिन इन दवाओं के सेवन से मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, यहां तक कि जान भी जा सकती है। चिंताजनक बात है कि केंद्र में नकली Medicine के इस्तेमाल से जुड़े मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी साबित हो रही है।
कैसे हो रहा है ये खेल?
नकली Medicine का जाल बेहद जटिल है। असली दवाओं की पैकेजिंग की नकल कर इन्हें बनाया जाता है, जिससे पहचानना मुश्किल हो जाता है। ये नकली दवाएं अक्सर सस्ती कीमत पर बेची जाती हैं, जो गरीब मरीज़ों को आकर्षित करती हैं। सिर्फ मेडिकल स्टोर्स ही नहीं, कुछ फेरी वाले भी नकली दवाओं का धंधा चलाते हैं, ग्रामीण इलाकों में ये और ज़्यादा सक्रिय होते हैं।
कितना खतरनाक है ये मामला?
नकली Medicine का इस्तेमाल बेहद खतरनाक है। इनमें या तो दवा का असर ही नहीं होता या फिर कम होता है, जिससे मरीज़ ठीक नहीं होता। कुछ मामलों में इनमें हानिकारक तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। लिवर फेलियर, किडनी डैमेज, यहां तक कि मौत तक हो सकती है।
क्या हो रहा है कार्रवाई?
केंद्र सरकार नकली Medicine के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा करती है, लेकिन हकीकत में ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। छापेमारी के आंकड़े तो दिखाए जाते हैं, लेकिन बड़े माफिया तक कार्रवाई पहुंचना मुश्किल होता है। नकली दवाओं के निर्माण और सप्लाई को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की ज़रूरत है।
क्या कर सकते हैं आम लोग?
नकली Medicine से खुद को बचाने के लिए आम लोगों को सतर्क रहने की ज़रूरत है। हमेशा प्रतिष्ठित मेडिकल स्टोर्स से ही दवाएं खरीदें। दवा की पैकेजिंग को ध्यान से देखें, किसी भी तरह की गड़बड़ी दिखे तो खरीदने से बचें। डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें और सस्ती कीमत का लालच न खाएं। अगर आपको किसी मेडिकल स्टोर में नकली Medicine का शक है, तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग या पुलिस को सूचित करें।
कितना बड़ा है खतरा?
नकली Medicine का खतरा जितना बड़ा है, उतना ही गंभीर है। ये दवाएं या तो बेकार होती हैं, जिससे मरीज का इलाज नहीं हो पाता है, या फिर उनमें हानिकारक केमिकल या पदार्थ होते हैं, जो मरीज को गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकते हैं। कई मामलों में नकली दवाओं के सेवन से लिवर फेलियर, किडनी फेलियर, यहां तक कि मौत भी हो सकती है।