नए साल के आते ही आम जनता के लिए खुशखबरी आई है। Petrol-Diesel के दामों में गिरावट की संभावना बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण पिछले छह महीनों में कच्चे तेल के आयात में कमी आना बताया जा रहा है। खबरों के अनुसार, कच्चे तेल की खरीद में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के स्थिर होने के कारण यह कदम उठाया जा सकता है। आइए जानते हैं किन वजहों से Petrol-Diesel सस्ते होने की उम्मीद जगी है और इसका आम जनता पर क्या असर पड़ेगा।
कच्चे तेल के आयात में कमी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2023 में भारत ने पिछले छह महीनों में सबसे कम कच्चा तेल आयात किया है। यह कमी वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर रुझान बढ़ने के कारण हुई है। कम आयात का मतलब है कि सरकार को Petrol-Diesel तैयार करने के लिए कम लागत आएगी, जिससे कीमतों में कमी की संभावना बढ़ जाती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों का उतार-चढ़ाव
हाल ही में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है। इसका मुख्य कारण आर्थिक सुस्ती और मांग में कमी है। हालांकि, यह गिरावट स्थायी नहीं है और भविष्य में कीमतों में फिर से उछाल आने की संभावना है। इसलिए, Petrol-Diesel के दामों में भी उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।
पिछले कुछ समय से विपक्षी दल लगातार Petrol-Diesel के बढ़ते दामों को लेकर सरकार पर हमला कर रहे हैं। जनता की नाराजगी को देखते हुए सरकार पर दबाव है कि वह पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करे। ऐसे में सरकार आने वाले दिनों में दाम कम करने का फैसला ले सकती है। विपक्ष की तरफ से महंगाई को मुद्दा बनाने की कोशिश जारी है। ऐसे में पेट्रोलियम सेक्टर में जो तस्वीर बन रही है, उससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि चुनावों से पहले देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कमी की जा सकती है।
आम जनता पर पड़ेगा सकारात्मक असर
Petrol-Diesel के दामों में कमी का आम जनता पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे परिवहन लागत कम होगी, जिससे माल ढुलाई के खर्च में कमी आएगी। इसका सीधा असर वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा और महंगाई में कमी आ सकती है। साथ ही, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
Petrol-Diesel के दामों में कमी के पीछे एक वजह यह भी है कि भारत ने दिसंबर 2023 में अंतरराष्ट्रीय बाजार से औसतन 77.14 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल का आयात किया है। यह पिछले छह महीने में भारत की तरफ से आयातित सबसे कम कीमत है।
इस पूरे वित्त वर्ष में कच्चे तेल की कीमत सिर्फ दो महीने (सितंबर और अक्टूबर) ही 90 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा रही है। शेष सात महीनों में कच्चे तेल की कीमत न्यूनतम 74.93 डॉलर प्रति बैरल और अधिकतम 83.76 डॉलर प्रति बैरल रही है।
इसका मतलब है कि भारत सरकार को कच्चे तेल का आयात करने के लिए कम पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी की संभावना बढ़ जाती है।