India Sri Lanka Meeting: श्रीलंका में हाल ही में आये सबसे बड़े प्राकृतिक आपदा के कारन अपने सबसे भीषण आर्थिक संकट से हुए नुकसान की भरपाई करने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती से जूझ रहा है। इस मुसीबत की घरी में भारत हर बार की तरह इस बार भी अच्छे पड़ोसी देश होन का कर्तव्य निभा रहा है। इसके लिए भारत श्रीलंका को इस संकट से उबारने में आगे बढ़कर मदद की है। इसी बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने दो दिवसीय भारत की यात्रा की है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ महत्वपूर्ण बैठक किया। श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 20 और 21 जुलाई को भारत दौरे पर रहे। इस दौरे में दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मन जा रहा है।
आपको बता दे की 20 जुलाई को श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे गुरुवार को भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। जिनका शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में स्वागत किया। यहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। इस दौरान दोनों नेताओं की मौजूदगी में कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये गए। भारत, श्रीलंका ने नवीकरणीय ऊर्जा, त्रिंकोमाली जिले में परियोजनाओं के आर्थिक विकास और यूपीआई उपयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
दोनों देशो के बिच हुए द्विपक्षीय वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने श्रीलंकाई तमिलों का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। समानता, न्याय और शांति के लिए पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी। साथ ही उन्होंने मछुआरों के मुद्दे को मानवीय नजरिये से देखने का आह्वान किया।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और श्रीलंका के सुरक्षा और विकास हित एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन मुद्दों पर श्रीलंका सरकार को भारत की संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति और ‘सागर’ विजन दोनों में ही श्रीलंका का महत्वपूर्ण स्थान है। इस संबंध में आज हमने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार साझा किए। प्रधानमंत्री ने भारत की ओर से एक बार फिर दोहराया कि एक निकटतम मित्र होने के नाते भारत हमेशा संकटकाल में श्रीलंका के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहेगा।
अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दोनों देशों ने आज एक विजन डॉक्यूमेंट अपनाया है। यह विजन दोनों देशों के बीच समुद्री, वायु, ऊर्जा और संपर्क के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देगा। विजन पर्यटन, बिजली, वाणिज्य, उच्च शिक्षा और कौशल विकास में आपसी सहयोग को गति देने से जुड़ा है। इस विषय में भारत की श्रीलंका के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता भी शामिल है।उन्होंने बताया कि व्यापार और लोगों की यात्रा को बढ़ाने के लिए हमने तमिलनाडु के नागपट्टिनम और श्रीलंका के कांकेसंतुरई के बीच यात्री नौका सेवाएं शुरू करने का निर्णय लिया है। भारत श्रीलंका के साथ बिजली ग्रिड के काम को गति प्रदान करेगा। दोनों देश श्रीलंका के साथ भूमि पुल, तेल पाइपलाइन की व्यवहार्यता पर काम करेंगे।