इतिहास रचने का क्षण नजदीक आ गया है। सदियों के इंतजार के बाद रामलला अपने भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने को तैयार हैं। तीन प्रतिमाओं के चयन की कठिन प्रक्रिया के बाद आखिरकार Arun Yogiraj द्वारा निर्मित मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने गुप्त मतदान के जरिए इस निर्णय को अंतिम रूप दिया है। हालांकि, आधिकारिक घोषणा 5 से 10 जनवरी के बीच होने की संभावना है।
Arun Yogiraj द्वारा निर्मित तीनों मूर्तियों में से एक का चयन रामलला की मूर्ति के लिए किया गया है। ये मूर्तियां कर्नाटक की श्याम शिला से निर्मित हैं और पारंपरिक शैली में तैयार की गई हैं। 53 वर्षीय Arun Yogiraj एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं, जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा सहित कई महत्वपूर्ण प्रतिमाओं का निर्माण किया है। उनकी प्रतिष्ठा और मूर्तिकला में निपुणता को देखते हुए उन्हें मूर्ति निर्माण के लिए चुना गया था। उनकी कलाकृति में शास्त्रीयता और आधुनिकता का खूबसूरत मेल देखने को मिलता है, जो रामलला की मूर्ति को और भी विशिष्ट बनाता है।
तीन मूर्तिकारों द्वारा निर्मित मूर्तियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद योगीराज की मूर्ति को चुना गया। ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा गुप्त मतदान के माध्यम से यह निर्णय लिया गया। Arun Yogiraj की मूर्ति को श्याम वर्ण की शिला से निर्मित किया गया है, जो मंदिर के गर्भगृह की आभा को और भी पवित्र बनाएगा। मूर्ति का स्वरूप बाल राम का है, जिनकी दिव्य छवि पूरे विश्व के रामभक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
अन्य दो मूर्तियों का निर्माण गणेश भट्ट और सत्यनारायण पांडेय ने किया है। भट्ट की मूर्ति भी कर्नाटक की श्याम शिला से बनी है, जबकि पांडेय ने संगमरमर का उपयोग किया है। तीनों मूर्तियों को मंदिर परिसर में रखा गया था, जहां ट्रस्ट के सदस्यों ने उनका बारीकी से अवलोकन किया और गुप्त मतदान के माध्यम से अपना मत दिया।
रामलला की गर्भगृह मूर्ति के चयन की प्रक्रिया काफी गोपनीय और पवित्र राखी गई थी। ट्रस्ट ने सुनिश्चित किया कि प्रत्येक मूर्ति को समान महत्व दिया जाए और चयन केवल कलात्मकता और मूर्तिकार की दक्षता के आधार पर ही किया जाए।
Arun Yogiraj की मूर्ति के चयन की खबर फैलते ही अयोध्या में जश्न का माहौल छा गया है। राम भक्तों का मानना है कि Arun Yogiraj की प्रतिमा न केवल कलात्मक रूप से उत्कृष्ट है, बल्कि इसमें भगवान राम की दिव्यता का भी समावेश है। उनका कहना है कि यह मूर्ति अयोध्या मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाएगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
हालांकि, कुछ लोगों ने इस चयन पर सवाल भी उठाए हैं। उनका कहना है कि अन्य दो मूर्तिकारों की प्रतिमाओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष थी।
आखिरकार, रामलला की मूर्ति के चयन के साथ ही राम मंदिर निर्माण का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है। अब सभी की निगाहें 5 से 10 जनवरी के बीच होने वाली आधिकारिक घोषणा पर टिकी हुई हैं। जिस दिन यह घोषणा होगी, वह न केवल अयोध्या के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय क्षण होगा।