गर्मी का मौसम आते ही Heat Stroke (लू लगना) और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं भी आम हो जाती हैं। कई बार इन दोनों बीमारियों के लक्षणों में थोड़ी समानता होने के कारण लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं और सही इलाज में देरी हो सकती है। तो आज हम आपको Heat Stroke और फूड पॉइजनिंग के अंतर को समझने में मदद करेंगे। ताकि आप इनके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर डॉक्टर से सलाह ले सकें।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
- शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाना (103°F या उससे ज्यादा): Heat Stroke का सबसे पहला और मुख्य लक्षण शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाना होता है। अगर किसी का शरीर का तापमान 103°F या उससे ज्यादा हो जाता है और वह पसीना नहीं आ रहा है, तो यह Heat Stroke की चेतावनी हो सकती है।
- तेज सिरदर्द, चक्कर आना और बेहोशी: Heat Stroke में तेज सिरदर्द, चक्कर आना और बेहोशी जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
- उल्टी और मिचली आना: कुछ मामलों में हीट स्ट्रोक से उल्टी और मिचली आने की भी शिकायत हो सकती है।
- त्वचा का लाल होना और गर्म होना: हीट स्ट्रोक में त्वचा लाल और गर्म हो जाती है। साथ ही पसीना भी नहीं आता है।
- तेज और उथली सांस लेना: हीट स्ट्रोक में सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। सांस तेज और उथली चलने लगती है।
फूड पॉइजनिंग के लक्षण
- पेट दर्द, मरोड़ और ऐंठन: फूड पॉइजनिंग का सबसे आम लक्षण पेट में दर्द, मरोड़ और ऐंठन होना होता है।
- उल्टी और दस्त: फूड पॉइजनिंग में ज्यादातर उल्टी और दस्त की भी शिकायत होती है।
- जुकाम और बुखार: कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग में जुकाम और हल्का बुखार भी आ सकता है।
- शरीर में कमजोरी और थकान: फूड पॉइजनिंग से शरीर में कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है।
- प्यास लगना और डिहाइड्रेशन: फूड पॉइजनिंग में उल्टी और दस्त के कारण शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है और बहुत ज्यादा प्यास लग सकती है।
हीट स्ट्रोक और फूड पॉइजनिंग में अंतर
दोनों बीमारियों में कुछ लक्षण समान जरूर होते हैं, लेकिन फिर भी इनमें अंतर होता है। Heat Stroke में शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और पसीना नहीं आता है। वहीं, फूड पॉइजनिंग में बुखार आमतौर पर हल्का होता है और पसीना आ सकता है। साथ ही फूड पॉइजनिंग में पाचन से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
अगर आपको तेज बुखार के साथ उल्टी और दस्त हो रहे हैं, तो यह फूड पॉइजनिंग के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लें और खूब सारे तरल पदार्थ पिएं। वहीं, अगर आपको तेज गर्मी में शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाना, पसीना कम आना, चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना जैसी समस्याएं हों, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं क्योंकि ये Heat Stroke के लक्षण हो सकते हैं। हीट स्ट्रोक की स्थिति में देरी करना जानलेवा हो सकता है।
बचाव ही है सबसे अच्छा इलाज
गर्मियों में Heat Stroke से बचने के लिए ढीले और सूती कपड़े पहनें, धूप में निकलने से बचें, खूब सारे तरल पदार्थ पिएं और छाते का इस्तेमाल करें। वहीं, फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें, ठेले से बना खाना खाने से बचें और बासी चीजों का सेवन न करें।