Traffic Pollution सिर्फ सांस की बीमारियों का कारण नहीं है, बल्कि यह आपके दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है। Traffic Pollution से न सिर्फ फेफड़े पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि यह आपके दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि Traffic Pollution के लंबे समय तक संपर्क में रहने से डिमेंशिया (याददाश्त कमजोर होना) का खतरा बढ़ सकता है।
अध्ययन में क्या बताया गया?
यह अध्ययन अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (UCLA) में हुआ था। इसमें 1,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था, जो लॉस एंजिल्स शहर के अलग-अलग इलाकों में रहते थे। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को ज्यादा Traffic Pollution का सामना करना पड़ता था, उनकी याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता उन लोगों की तुलना में कमजोर थी, जो कम प्रदूषण वाले इलाकों में रहते थे।
अध्ययनकर्ताओं का कहना
अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर डेविड लियोन ने बताया कि, “हमारे अध्ययन में पाया गया कि Traffic Pollution के संपर्क में आने से दिमाग में सूजन हो सकती है, जो याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर सकती है।” उन्होंने आगे कहा, “यह अध्ययन इस बात का सबूत है कि Traffic Pollution न केवल फेफड़ों के लिए हानिकारक है, बल्कि यह दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है।”
कैसे करता है प्रदूषण दिमाग को नुकसान?
अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि Traffic Pollution में मौजूद छोटे-छोटे कण नाक के जरिए दिमाग तक पहुंच जाते हैं। ये कण दिमाग में सूजन पैदा कर सकते हैं, जो दिमागी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे याददाश्त कमजोर होने और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है डिमेंशिया?
अल्जाइमर्स एसोशिएशन के अनुसार, डिमेंशिया खुद में कोई बीमारी नहीं है बल्कि, वह कई बीमारियों का समूह है, जो दिमागी सेहत को प्रभावित करते हैं। इनमें अल्जाइमर सबसे आम है। इस कंडिशन में व्यक्ति की कॉग्नीटिव हेल्थ प्रभावित होती है, जिसकी वजह से रोज के छोटे-मोटे काम करने में भी व्यक्ति असमर्थ होता जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं।