टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) भले ही आज क्रिकेट से दूर है लेकिन उन्होंने भारत के लिए खेलते हुए जो योगदान दिया है, वह कभी भी भुलाया नहीं जा सकता, पर सचिन तेंदुलकर आज जिस मुकाम पर है और जो उपलब्धि वह हासिल कर चुके हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था जिन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है, पर आज हम आपको उन 13 सिक्कों की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने सचिन तेंदुलकर की किस्मत पूरी तरह से बदल दी. इसके बाद वह मास्टर ब्लास्टर और फिर क्रिकेट के भगवान बने.
इस तरह बदली किस्मत
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के गुरु रमाकांत आरेकर जब सचिन तेंदुलकर को प्रैक्टिस करवाते थे तो अलग-अलग तरह की वह तरकीब का इस्तेमाल करते थे, क्योंकि उनका मकसद था कि वह इस खिलाड़ी को एक कामयाब क्रिकेटर बनाएं. यही वजह है कि वह क्रिज पर विकेट के नीचे एक रुपए का सिक्का रख देते थे. उनके गुरु का मकसद ये होता था कि सचिन न थकने की सीमा तक जाकर मैदान पर क्रिकेट खेलते रहे. वही गेंदबाज को बोलते थे कि जो भी सचिन को आउट करेगा सिक्का उसका हो जाएगा.
इस तरह सचिन ने कुल 13 सिक्के जीते और यह सिक्के आज भी उन्होंने अपने पास रखे हैं जो उन्हें उन पुराने पलों की याद दिलाता है. सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने टीम इंडिया के लिए खेलते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34000 से ज्यादा रन बनाए हैं और उनके नाम 100 अंतरराष्ट्रीय शतक का रिकॉर्ड भी दर्ज है.
16 साल की उम्र में किया डेब्यू
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने 16 साल की उम्र में क्रिकेट की दुनिया में कदम रख दिया था और 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने टेस्ट और वनडे डेब्यू किया. अपने डेब्यू मैच में ही उन्हें पाकिस्तान की वसीम अकरम ने बाउंसर मारकर उनकी नाक से खून बहा दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी सचिन तेंदुलकर ने हार नहीं मानी. इसके बाद वह मेहनत करते गए और सफलता उनके कदम चूमते गई. आज भी सचिन तेंदुलकर के नाम कई ऐसे रिकॉर्ड है जिनके इर्द-गिर्द कोई भी खिलाड़ी नहीं पहुंच सकता है.