वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) का नाम उन खिलाड़ियों में शुमार है जिन्होंने आधुनिक क्रिकेट को अपनी आक्रामकता से एक अलग ही पहचान दिलाई है. आज भारत के ये धुरंधर खिलाड़ी अपना 45 वां जन्मदिन मना रहे हैं. ऐसा कोई गेंदबाज नहीं जिसको वीरेंद्र सहवाग ने धुल ना चटाई हो फिर चाहे वह पाकिस्तान के रावलपिंडी एक्सप्रेस नाम से मशहूर शोएब अख्तर हो या ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्राथ.कोई भी गेंदबाज सहवाग के हाथों नहीं बच पाया.
वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) को मुल्तान का सुल्तान के नाम से भी जाना जाता है, जिससे जुड़ी एक बेहद ही रोचक कहानी है. साल 2004 में मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने जब से तिहरा शतक जड़ा है तब से वह मुल्तान के सुल्तान बन चुके हैं. उस वक्त भारत की टीम सीरीज खेलने पाकिस्तान गई थी और वीरेंद्र सहवाग ने ये कारनामा किया था.
भारतीय क्रिकेट में दिया ये योगदान
वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को अनाज व्यापारी के घर नई दिल्ली में हुआ. वीरेंद्र सहवाग दिल्ली के नजफगढ़ के रहने वाले हैं. उन्होंने टीम इंडिया के लिए जो योगदान दिया है, वैसा कारनामा काफी कम लोग कर पाते हैं. इस वजह से उन्हें नजफगढ़ का नवाब कहा जाता है. भारतीय क्रिकेट टीम में वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किया था और 14 साल बाद पाकिस्तान के खिलाफ ही उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला लिया.
उनके नाम वनडे इंटरनेशनल में 8273 रन, टेस्ट क्रिकेट में 8586 रन, टी-20 क्रिकेट में 394 रन और आईपीएल में 2728 रन दर्ज है. वीरेंद्र सहवाग दुनिया के इकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो दोहरे शतक लगाए हैं. तिहरा शतक भी उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ठोका था जिस मैच में उन्होंने 309 रन की पारी खेली थी. सोशल मीडिया पर वीरेंद्र सहवाग अक्सर अपने बेबाकी अंदाज की वजह से सुर्खियों में छाए रहते हैं. जब भी भारत-पाकिस्तान का कोई मैच होता है तो वीरेंद्र सहवाग की तरफ से एक ट्वीट तो पक्का तय रहता है.
आक्रमक था सहवाग का रवैया
यह बात काफी कम लोग जानते हैं कि मैदान पर चौका- छक्का लगाने वाले वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) ने अपने करियर की शुरुआत एक क्रिकेटर के तौर पर नहीं बल्कि एक फार्मेसी बिजनेस के साथ शुरू की थी. साल 1990 में जब वह क्रिकेट खेल रहे थे तो उस दौरान उनका एक दांत टूट गया था. इसके बाद पिता ने गुस्सा होकर उनसे क्रिकेट खेलने के लिए मना कर दिया, पर बाद में जैसे तैसे उन्होंने अपने पिता को राजी किया तब जाकर भारत को यह खतरनाक विस्फोटक बल्लेबाज मिला. वीरेंद्र सहवाग के मैदान पर आक्रमक रवैये से हर कोई वाकिफ था. उन्हें एक बार तो ज्यादा अपील करने के चलते पहले ही मैच में बैन कर दिया गया था.