USB Type C Charger: भारत सरकार जल्द ही एक ऐसे नियम को लागू करने की योजना बना रही है, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक समान चार्जिंग पोर्ट को अनिवार्य कर देगा। इस कदम का मकसद उपकरणों के लिए कई तरह के Charger की जरूरत को खत्म करना और ई-कचरे को कम करना है। यूरोपीय संघ (EU) ने भी इसी तरह का नियम 2022 में पारित किया था, जो इस साल के अंत में लागू हो जाएगा।
सरकार एक समान चार्जर नियम क्यों ला रही है?
सरकार के इस कदम के पीछे कई कारण हैं। सबसे अहम कारण है उपभोक्ताओं की सुविधा और ई-कचरे को कम करना। अभी बाजार में स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य उपकरणों के लिए कई तरह के Charger उपलब्ध हैं। इससे उपभोक्ताओं को कई तरह के चार्जर खरीदने पड़ते हैं और अक्सर जरूरत का चार्जर ढूंढने में भी परेशानी होती है। साथ ही, पुराने डिवाइस के चार्जर अनावश्यक हो जाते हैं, जो ई-कचरे को बढ़ाते हैं। एक समान Charger नियम से उपभोक्ताओं को सिर्फ एक ही Charger की जरूरत पड़ेगी, जिससे उन्हें काफी सहूलियत होगी। साथ ही, ई-कचरे की मात्रा भी कम हो जाएगी।
कौन सा चार्जर होगा अनिवार्य?
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित नियम में USB Type-C चार्जिंग पोर्ट को सभी स्मार्टफोन, टैबलेट और कुछ लैपटॉप के लिए अनिवार्य किया जा सकता है। USB Type-C एक नया और उन्नत चार्जिंग पोर्ट है, जो तेज चार्जिंग की सुविधा देता है और साथ ही डाटा ट्रांसफर करने में भी सक्षम है। यह टिकाऊ भी है और किसी भी दिशा से आसानी से लगाया जा सकता है।
कब से लागू होगा यह नियम?
सरकार ने अभी तक इस नियम को लागू करने की समय सीमा का ऐलान नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए यह नियम जून 2025 से लागू हो सकता है। वहीं, लैपटॉप के लिए इसे बाद में लागू किया जा सकता है। यह भी बताया जा रहा है कि फीचर फोन और वियरेबल्स को फिलहाल इस दायरे से बाहर रखा जा सकता है।
इस नियम का क्या फायदा होगा?
इस नियम के लागू होने से कई फायदे होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे की मात्रा कम हो जाएगी। साथ ही, उपभोक्ताओं को कई तरह के Charger रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक ही Charger से वो अपने अलग-अलग डिवाइस चार्ज कर सकेंगे। इसके अलावा, USB Type-C पोर्ट तेज चार्जिंग की सुविधा भी देता है।
इस नियम का फायदा सीधे उपभोक्ताओं को होगा। उन्हें अब कई तरह के Charger नहीं खरीदने पड़ेंगे और एक ही चार्जर से अपने सभी उपकरणों को चार्ज कर सकेंगे। साथ ही, इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा क्योंकि ई-कचरे की मात्रा कम हो जाएगी।